वास्तुशास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो हमारे आस-पास की ऊर्जा को संतुलित करने पर केंद्रित है।इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह हमारे जीवन के हर क्षेत्र पर गहरा प्रभाव डालता है, चाहे वह घर हो, व्यापार, कार्यालय या होटल। होटल व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए सही वास्तु नियमों का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, यदि होटल का निर्माण और उसकी आंतरिक सज्जा सही दिशाओं और वास्तु सिद्धांतों का पालन करते हुए की जाए, तो यह होटल के व्यवसाय में वृद्धि, समृद्धि और सकारात्मकता ला सकता है।
इस लेख में हम ज्योतिषीय दृष्टिकोण से होटल वास्तु के विभिन्न पहलुओं और उसके उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
होटल का स्थान और दिशा
होटल का स्थान और उसकी दिशा, होटल व्यवसाय की सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार, होटल का निर्माण सही दिशा और स्थान पर करने से सफलता और समृद्धि के अवसर बढ़ते हैं।
- उत्तर दिशा: होटल के लिए उत्तर दिशा अत्यंत शुभ मानी जाती है। यह दिशा धन, समृद्धि और व्यवसायिक सफलता का प्रतीक है।
- पूर्व दिशा: यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और ताजगी का प्रतीक है। होटल का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में होना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
- दक्षिण और पश्चिम दिशा: इन दिशाओं में होटल का निर्माण करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। यदि होटल का मुख्य द्वार दक्षिण या पश्चिम दिशा में हो, तो इससे व्यवसाय में रुकावटें आ सकती हैं। इसके लिए वास्तु उपायों का पालन करना आवश्यक है।
मुख्य द्वार
होटल के मुख्य द्वार को वास्तु के अनुसार सही दिशा में रखना आवश्यक है, क्योंकि यह द्वार होटल में सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का माध्यम होता है।

- उत्तर-पूर्व दिशा: होटल का मुख्य द्वार उत्तर-पूर्व दिशा में होना सबसे शुभ होता है। यह दिशा धन, समृद्धि और सफलता को आकर्षित करती है।
- उत्तर दिशा: यह दिशा होटल के लिए दूसरी सबसे शुभ दिशा मानी जाती है। इस दिशा में मुख्य द्वार होने से होटल में धन और सुख-शांति बनी रहती है।
- दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा: इन दिशाओं में मुख्य द्वार होने से होटल के व्यवसाय में बाधाएं आ सकती हैं। इस स्थिति में वास्तु दोष के निवारण के लिए विशेष उपाय करना आवश्यक होता है, जैसे कि द्वार के पास शुभ प्रतीकों या वास्तु यंत्रों का प्रयोग।
रिसेप्शन
होटल का रिसेप्शन क्षेत्र पहला स्थान होता है, जहां ग्राहक प्रवेश करते हैं।साहू जी के अनुसार यह क्षेत्र होटल की पहली छवि बनाता है, इसलिए इसे सही दिशा और वास्तु नियमों के अनुसार तैयार करना आवश्यक है।
- रिसेप्शन की दिशा: रिसेप्शन क्षेत्र को उत्तर या पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ होता है। इससे होटल में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और ग्राहकों का स्वागत आत्मीयता से होता है।
- रिसेप्शन काउंटर का स्थान: रिसेप्शन काउंटर को इस प्रकार रखा जाना चाहिए कि रिसेप्शनिस्ट का मुख उत्तर या पूर्व दिशा में हो। इससे व्यवसाय में वृद्धि और ग्राहकों की संतुष्टि में सुधार होता है।
कमरों की व्यवस्था
होटल के कमरों की दिशा और उनकी आंतरिक सज्जा भी वास्तु के अनुसार महत्वपूर्ण होती है।भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि कमरों की व्यवस्था सही दिशा में हो, तो होटल में ठहरने वाले ग्राहकों को आराम और शांति मिलती है, जिससे वे बार-बार लौटना पसंद करते हैं।

- कमरों की दिशा: होटल के कमरों को उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ माना जाता है। इन दिशाओं में बने कमरों में ठहरने वाले ग्राहकों को आराम और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- बेड की दिशा: बेड की दिशा उत्तर या पूर्व की ओर होना चाहिए। यह व्यवस्था ग्राहकों के स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन के लिए अनुकूल होती है।
- कमरों में दर्पण का स्थान: दर्पण को कमरे में इस प्रकार रखा जाना चाहिए कि वह सीधे बेड के सामने न हो। इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है और ग्राहकों को मानसिक तनाव हो सकता है।
भोजनालय और किचन
होटल का भोजनालय और किचन भी वास्तु के अनुसार सही दिशा में होना आवश्यक है।साहू जी के अनुसार भोजनालय और किचन की दिशा ग्राहकों और होटल के कर्मचारियों के स्वास्थ्य और संतुष्टि को प्रभावित करती है।
- किचन की दिशा: किचन को दक्षिण-पूर्व (अग्नि कोण) में रखना सबसे शुभ माना जाता है। यह दिशा अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करती है, जिससे भोजन से संबंधित कोई भी समस्या नहीं होती है।
- भोजनालय की दिशा: भोजनालय को उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखना चाहिए। इन दिशाओं में भोजन करने से ग्राहकों को सकारात्मक ऊर्जा और ताजगी मिलती है, जो होटल के अनुभव को बेहतर बनाती है।
बाथरूम और शौचालय
होटल के बाथरूम और शौचालय की दिशा भी वास्तु के अनुसार महत्वपूर्ण होती है। इनका सही दिशा में होना आवश्यक होता है, क्योंकि यह होटल के स्वास्थ्य और स्वच्छता से संबंधित होता है।
- उत्तर-पश्चिम दिशा: बाथरूम और शौचालय के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा सबसे शुभ मानी जाती है। इससे होटल में स्वच्छता और स्वास्थ्य का संतुलन बना रहता है।
- उत्तर-पूर्व दिशा: इस दिशा में बाथरूम या शौचालय का होना अत्यधिक अशुभ माना जाता है। यह मानसिक और शारीरिक समस्याओं को जन्म दे सकता है।
होटल की लाइटिंग और सजावट

होटल की लाइटिंग और सजावट न केवल इसकी सुंदरता को बढ़ाती है, बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा को भी आकर्षित करती है।साहू जी के अनुसार होटल के अंदर हल्की और सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने वाली लाइट्स का प्रयोग करना चाहिए।
- लाइटिंग की दिशा: होटल के अंदर उत्तर-पूर्व दिशा में अधिक प्रकाश का होना शुभ माना जाता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- सजावट में रंगों का प्रयोग: होटल की सजावट में हल्के और सुखदायक रंगों का उपयोग करना चाहिए, जैसे कि सफेद, हल्का नीला, हरा आदि। ये रंग सकारात्मकता को बढ़ाते हैं और ग्राहकों के मन को शांत करते हैं।
वास्तु दोष और उनके निवारण के उपाय
यदि होटल में किसी प्रकार का वास्तु दोष है, तो उसका निवारण करना आवश्यक होता है। कुछ सामान्य वास्तु दोष और उनके उपाय निम्नलिखित हैं:
- मुख्य द्वार का दोष: यदि मुख्य द्वार दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में है, तो आप द्वार के पास वास्तु यंत्र स्थापित कर सकते हैं या दरवाजे के दोनों ओर शुभ प्रतीकों का प्रयोग कर सकते हैं।
- कमरों का दोष: यदि किसी कमरे में वास्तु दोष हो, तो वहां पर शुभ पौधे या क्रिस्टल का प्रयोग किया जा सकता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त किया जा सकता है।
- किचन का दोष: यदि किचन गलत दिशा में है, तो वहां पर वास्तु दोष निवारण के लिए अग्नि यंत्र या पिरामिड का प्रयोग किया जा सकता है।
होटल के लॉबी का वास्तु
होटल की लॉबी वह स्थान होती है जहां ग्राहक सबसे पहले प्रवेश करते हैं। लॉबी की सजावट और दिशा होटल की समग्र ऊर्जा को प्रभावित करती है।
- लॉबी की दिशा: होटल की लॉबी को उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ होता है। इन दिशाओं में लॉबी होने से ग्राहकों को सकारात्मकता का अनुभव होता है।
- लॉबी में जल का स्रोत: लॉबी में किसी जल स्रोत जैसे फव्वारा या एक्वेरियम का होना शुभ माना जाता है। यह धन और समृद्धि को आकर्षित करता है।
वास्तु के अनुसार कर्मचारियों की व्यवस्था
होटल के कर्मचारियों की व्यवस्था भी वास्तु के अनुसार होनी चाहिए।साहू जी के अनुसार कर्मचारियों का बैठने का स्थान और उनकी दिशा सही होनी चाहिए ताकि वे अपने कार्य को सही ढंग से और मनोयोग से कर सकें।
- कर्मचारियों के बैठने की दिशा: होटल के कर्मचारियों का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इससे उनके कार्य में समर्पण और सफलता मिलती है।
- कार्यालय का स्थान: कर्मचारियों के कार्यालय को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना सबसे शुभ माना जाता है। इससे कार्य की स्थिरता और सफलता बढ़ती है।
होटल वास्तु न केवल व्यवसाय की सफलता और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह होटल में आने वाले ग्राहकों की संतुष्टि और मानसिक शांति पर भी गहरा प्रभाव डालता है। होटल का सही वास्तु के अनुसार निर्माण और सजावट करना होटल व्यवसाय में लंबे समय तक सकारात्मक परिणाम ला सकता है।मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि किसी होटल में वास्तु दोष हो, तो उनके निवारण के लिए उपयुक्त उपायों का पालन करना आवश्यक है, ताकि होटल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहे।ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, होटल का वास्तु सही होने से न केवल आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि यह ग्राहकों और कर्मचारियों के लिए भी एक सकारात्मक वातावरण प्रदान करता है।
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