नवरात्रि में कलश स्थापना और अखंड दीप जलाने का ज्योतिषीय मार्गदर्शन

नवरात्रि भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इस अवसर पर कई धार्मिक और ज्योतिषीय क्रियाएँ की जाती हैं, जैसे कलश स्थापना और अखंड दीप जलाना। इन क्रियाओं का धार्मिक महत्व तो है ही, इसके साथ ही इनका ज्योतिषीय महत्व भी बहुत गहरा है। इस ब्लॉग में हम नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना और अखंड दीप जलाने के महत्व और उनके पीछे के ज्योतिषीय अर्थ को समझेंगे।

कलश स्थापना 

कलश, जिसे ‘जल कलश’ भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में समृद्धि, स्वास्थ्य और वैभव का प्रतीक माना जाता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना करने से न केवल घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि यह परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों को भी मजबूत बनाता है।

आध्यात्मिक महत्व:
  • कलश में जल भरकर उसकी पूजा करने से देवी माँ का आवाहन किया जाता है। यह एक प्रकार की साधना होती है, जिसके माध्यम से हम अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।

ज्योतिषीय महत्व:
  • ज्योतिष के अनुसार, कलश स्थापना करने से ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित किया जा सकता है। साहू जी के अनुसार यह विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण होता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों का दुष्प्रभाव हो।

कलश का स्थान:
  • कलश को हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर स्थापित करना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएँ सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।

अखंड दीप

अखंड दीप जलाना नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण भाग है। साहू जी के अनुसार यह दीप न केवल प्रकाश का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे जीवन में शांति और समृद्धि का भी संकेत है।

धार्मिक महत्व:
  • दीप जलाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। यह हमारे और देवी माँ के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करता है।

ज्योतिषीय महत्व:
  • साहू जी के अनुसार ज्योतिष में दीप जलाना नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने का एक प्रभावी उपाय माना जाता है। यह खासकर तब महत्वपूर्ण होता है जब घर में कोई नकारात्मकता या संकट हो।

दीप जलाने की विधि:

  • साहू जी के अनुसार दीप को हमेशा पूर्व दिशा में रखें और इसे शुद्ध घी या सरसों के तेल से भरें। दीप जलाते समय मन में शुभ संकल्प करें और देवी माँ का स्मरण करें।

नवरात्रि के दिनों में कलश स्थापना और अखंड दीप जलाने की विधि

कलश स्थापना

  • पहले एक पवित्र स्थान पर एक शुद्ध मिट्टी का कलश रखें।
  • कलश में जल भरें और उसमें एक सुपारी, चावल, और एक चांदी या सोने की coin डालें।
  • कलश को एक कपड़े से ढककर उसकी पूजा करें और देवी माँ का आवाहन करें।

अखंड दीप
  • साहू जी के अनुसार दीप को शुद्ध घी या तेल से भरें।
  • दीप को एक साफ स्थान पर रखें और उसे प्रज्वलित करें।
  • रोजाना दीप की पूजा करें और उसमें नए तेल या घी डालें।

कलश स्थापना और दीप जलाने के लाभ

  • परिवार में शांति: साहू जी के अनुसार. कलश स्थापना और अखंड दीप जलाने से परिवार में शांति और एकता बनी रहती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: ये दोनों क्रियाएँ सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  • स्वास्थ्य लाभ: ज्योतिष के अनुसार, ये क्रियाएँ स्वास्थ्य में सुधार करती हैं और बीमारियों से दूर रखने में मदद करती हैं।

नवरात्रि में कलश स्थापना और अखंड दीप जलाने के विशेष उपाय

कुंडली के अनुसार उपाय: अपने ग्रहों के स्थिति के अनुसार कलश स्थापना और दीप जलाने के समय विशेष मंत्र का जाप करें।
राशि अनुसार उपाय: हर राशि के लिए अलग-अलग उपाय होते हैं, जो नवरात्रि के दौरान किए जा सकते हैं।
नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना और अखंड दीप जलाना केवल धार्मिक क्रियाएँ नहीं हैं, बल्कि ये हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक माध्यम भी हैं। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इनका ज्योतिषीय महत्व भी अत्यधिक है, जो हमें जीवन में सुख और समृद्धि की ओर अग्रसरित करता है। इस नवरात्रि, हम सबको इन ज्योतिषीय उपायों को अपनाकर माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।

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