नवरात्रि के नौ रूप और उनका कुंडली के 12 भावों पर प्रभाव

 ज्योतिषी शास्त्र के अनुसार नवरात्रि, जिसे शक्ति की पूजा का पर्व माना जाता है, देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का अनोखा अवसर है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह पर्व न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी माध्यम है। इस ब्लॉग में हम नवरात्रि के नौ रूपों के महत्व और उनके  कुंडली के 12 भावों पर प्रभाव के बारे में विस्तार से जानेंगे।

नवरात्रि का पर्व साल में दो बार मनाया जाता है — एक बार शरद नवरात्रि और दूसरी बार चैत्र नवरात्रि।  साहू जी के अनुसार इस दौरान भक्तजन माता की आराधना करते हैं और विशेष रूप से नौ दिनों तक उपवास रखते हैं। यह पर्व हमें आत्मिक जागरूकता, स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।

 देवी के नौ रूप

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के निम्नलिखित नौ रूपों की पूजा की जाती है:

शैलपुत्री: पहले दिन की देवी, जो पर्वतों की पुत्री हैं।

ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन की देवी, जो तप और ज्ञान की देवी हैं।

चंद्रघंटा: तीसरे दिन की देवी, जो साहस और बलिदान की प्रतीक हैं।

कूष्मांडा: चौथे दिन की देवी, जो रचनात्मकता और सुख की देवी हैं।

स्कंदमाता: पांचवे दिन की देवी, जो संतान सुख का आशीर्वाद देती हैं।

कात्यायनी: छठे दिन की देवी, जो विवाह और रिश्तों में सकारात्मकता लाती हैं।

कालरात्रि: सातवें दिन की देवी, जो डर और अज्ञात से मुक्ति दिलाती हैं।

महागौरी: आठवें दिन की देवी, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाती हैं।

सिद्धिदात्री: नवम दिन की देवी, जो मोक्ष और सिद्धियों की देवी हैं।

 कुंडली के 12 भाव

कुंडली में 12 भाव होते हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं:

पहला भाव (लग्न): आत्मा, व्यक्तित्व

दूसरा भाव: धन, परिवार

तीसरा भाव: संचार, छोटे भाई-बहन

चौथा भाव: मातृ स्थान, सुख

पांचवां भाव: संतान, प्रेम

छठा भाव: स्वास्थ्य, रोग

सातवां भाव: विवाह, साझेदारी

आठवां भाव: मृत्यु, अज्ञात

नवां भाव: धर्म, यात्रा

दसवां भाव: करियर, समाज में स्थिति

ग्यारहवां भाव: लाभ, मित्र

बारहवां भाव: व्यय, मोक्ष

  देवी के नौ रूपों का 12 भावों पर प्रभाव

 शैलपुत्री (प्रथम दिन)

  • भाव: पहला भाव (लग्न)
  • प्रभाव:  साहू जी के अनुसार शैलपुत्री की आराधना से आत्मविश्वास और जीवन शक्ति में वृद्धि होती है। ज्योतिषी शास्त्र के अनुसार इस दिन ध्यान और साधना करने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति में सुधार होता है। इस भाव में चंद्रमा का सकारात्मक प्रभाव होने से व्यक्ति अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ता है।

 ब्रह्मचारिणी (द्वितीय दिन)

  • भाव: दूसरा भाव
  • प्रभाव: ब्रह्मचारिणी के पूजन से वित्तीय स्थिरता और पारिवारिक संबंधों में मजबूती आती है। साहू जी के अनुसार इस दिन का ध्यान रखने से व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को समझता है और धन के प्रति जागरूक होता है।

 चंद्रघंटा (तृतीय दिन)

  • भाव: तीसरा भाव
  • प्रभाव: चंद्रघंटा की आराधना संचार कौशल को बढ़ाती है। यह छोटे भाई-बहनों के संबंधों में सुधार लाती है और सामाजिक जीवन को सकारात्मक दिशा देती है।

 कूष्मांडा (चतुर्थ दिन)

  • भाव: चौथा भाव
  • प्रभाव: कूष्मांडा के पूजन से मातृ स्थान में सुख और शांति का संचार होता है। यह परिवार में सामंजस्य और प्रेम को बढ़ावा देती है, जिससे सभी सदस्य खुश रहते हैं।

 स्कंदमाता (पंचम दिन)

  • भाव: पांचवां भाव
  • प्रभाव: स्कंदमाता की पूजा संतान सुख में वृद्धि करती है। यह व्यक्ति को अपनी रचनात्मकता का पूर्णता से उपयोग करने की प्रेरणा देती है।

 कात्यायनी (षष्ठी दिन)

  • भाव: छठा भाव
  • प्रभाव: कात्यायनी की आराधना स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से राहत देती है। साहू जी के अनुसार यह स्वरूप व्यक्ति को अपनी सेहत का ध्यान रखने और सही जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा देती है।

 कालरात्रि (सप्तमी दिन)

  • भाव: सातवां भाव
  • प्रभाव: कालरात्रि की पूजा विवाह और साझेदारी में सकारात्मकता लाती है। यह स्वरूप सही जीवनसाथी को पहचानने और रिश्तों में सामंजस्य बनाने में मदद करता है।

 महागौरी (अष्टमी दिन)

  • भाव: आठवां भाव
  • प्रभाव:ज्योतिषी के अनुसार महागौरी की पूजा से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह स्वरूप व्यक्ति को आत्मिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।

 सिद्धिदात्री (नवमी दिन)

  • भाव: नवां भाव
  • प्रभाव: सिद्धिदात्री की आराधना धर्म और यात्रा में सफलता लाती है। यह स्वरूप व्यक्ति के जीवन में लाभ और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।

 नवरात्रि में पूजा और साधना

नवरात्रि के दौरान साधना और ध्यान का विशेष महत्व है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार  भक्तजन देवी की आराधना के साथ-साथ ध्यान और साधना में भी लिप्त रहते हैं। इस अवधि में उपवास रखने से व्यक्ति के मन और आत्मा में सकारात्मकता का संचार होता है। साधना में संयम, भक्ति, और विश्वास का होना आवश्यक है।

 विशेष ज्योतिषीय उपाय

नवरात्रि में विशेष  ज्योतिषी उपाय भी किए जा सकते हैं, जैसे:

  • व्रत रखना: नवरात्रि में व्रत रखने से आत्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • दीप जलाना: घर में दीप जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • माता को भोग अर्पित करना: देवी को अर्पित भोग से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है।

नवरात्रि का पर्व हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और सुधारने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध  ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार   देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से हम अपनी कुंडली के 12 भावों में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। इस नवरात्रि में, हम माँ दुर्गा से प्रार्थना करें कि वे हमें स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि प्रदान करें। इस पर्व का लाभ उठाकर हम अपने जीवन में सकारात्मकता और उन्नति की ओर बढ़ सकते हैं।

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