जाने नर्मदा नदी से जुड़े रहस्य
नर्मदे हर.. नर्मदा मां
तीन साल, तीन माह, तेरह दिन में पूरी होती है नर्मदा परिक्रमा, कई आध्यात्मिक और वैज्ञानिक ऐसे ही कई सारे है नर्मदा नदी से जुड़े रहस्य ..
नर्मदां सरितां वरा… पंक्तियां ही उदाहरण हैं कि #पुराणों ने नर्मदा को समस्त नदियों में प्रमुख व श्रेष्ठ बताया है। शायद यही वजह है कि युगों से इसकी परिक्रमा की जा रही है। विश्व में नर्मदा ही मात्र एक ऐसी नदी है जिनकी विधिवत व पूर्ण परिक्रमा की जाती है। 3 साल 3 माह और 13 दिन में पूर्ण होने वाली यह #यात्रा अपने आप में अनूठी है। अनुभव ले चुके लोगों के अनुसार परिक्रमा के दौरान जो आत्मिक व दैवीय अनुभूति प्राप्त होती है वह कही और नहीं प्राप्त हो सकती | इस नदी के हर कंकड़ में है शंकर है ।
वैराग्य की अधिष्ठात्री

ग्वारीघाट, गीताधाम के संचालक स्वामी नरसिंहदास का कहना है कि नर्मदा को शिव पुत्री माना जाता है। मान्यता है कि इनकी उत्पत्ति भगवान शिव के पसीने की बूंद से हुई थी। जिस तरह गंगा को ज्ञान, यमुना को भक्ति और सरस्वती को विवेक अधिष्ठात्री होने का दर्जा प्राप्त है। वैसे ही मां नर्मदा का वैराग्य की अधिष्ठात्री कहलाती है। लिखा है कि ‘रेवा तीरे तपस्कुर्यात, मरणं जान्हवी तटे…. इसका अर्थ है कि तपस्या का उचित फल #रेवा के #तट पर ही मिलता है। इसलिए मुनि, सिद्ध और योगी जन तपस्या के लिए रेवा यानी नर्मदा का किनारा ही चुनते हैं।
मानव सभ्यता की साक्षी
वेद कहते हैं कि नर्मदा सतयुग से निरंतर प्रवाहित हैं और युगों तक प्रवाहित रहेंगी। यही कारण है कि इन्हें चिरकुमारी कहा जाता है। जेडएसआई की रिसर्च में भी यह बात साबित हो चुकी है कि नदियों में नर्मदा सबसे प्राचीन हैं। यहां मिले जीवाश्मों के आधार पर इसके युगों के सफर का आकलन किया गया। जेडएसआई के पूर्व निदेशक डॉ. कैलाशचंद्रा के अनुसार 50 वर्ष तक चले शोध में यह बात प्रमाणित हुई है कि मानव सभ्यता का जन्म नर्मदा वैली में ही हुआ था। नर्मदा पहली सभ्यता की उत्पत्ति की साक्षी हैं।
मां को चढ़ाई जाती है कड़ाही
तीन बार नर्मदा परिक्रमा कर चुके रामदास अवधूत का मानना है कि आज भी कई अदृश्य शक्तियां और देवता नर्मदा की परिक्रमा करते रहते हैं। मान्यता ये भी है कि गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अस्वत्थामा आज भी नर्मदा की परिक्रमा कर रहे हैं। नर्मदा की परिक्रमा उद्गम स्थल अमरकंटक से या फिर ओंकारेश्वर से प्रारंभ की जाती है, जो पैदल तीन साल, तीन माह और तेरह दिन में (दोनों तट) पूर्ण होती है। वाहनों पर लोग इसे 108 दिन में भी पूरा कर लेते हैं। परिक्रमा प्रारंभ करने से पहले श्रद्धालु इसका संकल्प लेते हैं और फिर पूजन के बाद मां नर्मदा को एक कड़ाही भेंट करते हैं। कड़ाही में ही कन्याओं और सुपात्र ब्राम्हणों को भोजन कराया जाता है।
विपरीत दिशा में प्रवाह
ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी बताते है की नर्मदा विश्व की एक मात्र नदी हैं जिनका प्रवाह अन्य नदियों से विपरीत यानी पूर्व से पश्चिम की ओर है। यह ढलान की जगह ऊंचाई की तरफ बहती हैं, जो लोगों का आश्चर्य चकित कर देता है। नर्मदा की इसी महिमा का प्रताप है कि इसके उद्भव से लेकर संगम तक करीब दस करोड़ तीर्थ स्थल हैं। माना जाता है नर्मदा ने जिस स्थान को भी अपना सानिध्य प्रदान किया वह तीर्थ संज्ञक हो गया है। ज्योतिष मर्मज्ञ रामसंकोची गौतम के अनुसार नर्मदा के अतिरिक्त केवल ताप्ती नदी ही पश्चिम की ओर बहती है एक वैज्ञानिक धारणा यह भी है कि करोडों वर्ष पहले ताप्ती भी नर्मदा की ही सहायक नदी थी। शोध के बाद कई वैज्ञानिक इस पर सहमत हुए हैं। ऐसे ही कई सारे है नर्मदा नदी से जुड़े रहस्य |
अद्भुत है दर्शन

नर्मदा परिक्रमा के विषय में प्रसिद्ध साहित्यकार अमृतलाल बेगड़ ने अपने अनुभव साझा किए हैं। जेडीए अध्यक्ष डॉ. विनोद मिश्रा ने भी अपनी पुस्तक में नर्मदा परिक्रमा के अद्भुत अनुभवों को साझा किया है। रमनगरा निवासी वयोवृद्ध ज्योतिषाचार्य पं. मोतीराम शास्त्री की रचना पय: पानम् को राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। मनीषियों ने लिखा है कि नर्मदा का स्वरूप और आल्हादित करने वाला है। नर्मदा के कल-कल निनाद में शिवत्व का बोध होता है। नर्मदा की उछलती लहरों का नृत्य अंत:पुर के दरवाजों को खोल देता है। इसका आध्यात्मिक सुख अवर्णनीय है। वहीं भू-जल विद विनोद दुबे का कहना है कि नर्मदा जल में वैक्टीरिया को खत्म करने की अद्भुत शक्ति है। नर्मदा वैली में युगीन सभ्यता बिखरी पड़ी है। लोगों की इस पर नजर पड़े, वे इसके महत्व को समझें। संभवत: इसलिए ही नर्मदा परिक्रमा की परम्परा प्रारंभ हुई होगी। पाषाण में तब्दील हो चुके नर्मदा के किनारे पेड़-पौधों व पत्थरों के अलावा नर्मदा वैली के रहस्यों पर आज भी अनेक शोध चल रहे हैं।
नर्मदा एक नजर में
उद्गम – मेकल पर्वत श्रेणी, अमरकंटक
समुद्र तल से ऊंचाई – 1051 मीटर
म.प्र में प्रवाह – 1079 किमी
कुल प्रवाह (लम्बाई) – 1312 किमी
नर्मदा बेसिन का कुल क्षेत्रफल – 98496 वर्ग किमी
राज्य – #मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात
विलय – भरूच के आगे खंभात की खाड़ी
यह है परिक्रमा मार्ग
अमरकंटक, माई की बगिया से नर्मदा कुंड, #मंडला, #जबलपुर, #भेड़ाघाट, #बरमानघाट, #पतईघाट, मगरोल, जोशीपुर, छपानेर, #नेमावर, नर्मदासागर, पामाखेड़ा, धावड़ीकुंड, ओंकारेश्वर, बालकेश्वर, इंदौर, मण्डेश्वर, महेश्वर, खलघाट, चिखलरा, धर्मराय, कातरखेड़ा, शूलपाड़ी की झाड़ी, हस्तीसंगम, छापेश्वर, सरदार सरोवर, गरुड़ेश्वर, चांदोद, #भरूच इसके बाद लौटने पर पोंड़ी, बिमलेश्वर, कोटेश्वर, गोल्डन ब्रिज, बुलबुलकंड, रामकुंड, बड़वानी, ओंकारेश्वर, #खंडवा, #होशंगाबाद, साडिया, #बरमान, बरगी गांव, त्रिवेणी संगम, महाराजपुर, #मंडला, #डिंडोरी और फिर अमरकंटक शामिल हैं।
narmada nadi
और ये अनूठे तथ्य
- जेडएसआई के पूर्व निदेशक डॉ. कैलाशचंद्रा के अनुसार 50 वर्ष तक चले शोध में यह बात प्रमाणित हुई है कि मानव सभ्यता का जन्म नर्मदा वैली में ही हुआ था।
- नर्मदा विश्व की सबसे प्राचीन नदी हैं और विपरीत दिशा में यानी ढलान से चढ़ाई की तरफ बहती हैं।
- मां नर्मदा के हर कंकड़ को भगवान शिव के रूप में पूजा जाता है। इनकी प्राण प्रतिष्ठा कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
- नर्मदा में मृत व्यक्ति की अस्थियां डालने से ये अस्थियां पत्थरों में तब्दील हो जाती हैं।
- नर्मदा की उत्पत्ति भगवान शिव के पसीने की बूंद से हुई थी।
- नर्मदा परिक्रमा तीन साल, तीन माह, तेरह दिन में पूरी होती है।
- नर्मदा नदी का कुल प्रवाह 1312 किलो मीटर है।
- नर्मदा के किनारे आज भी कई अदृश्य शक्तियां और देवता नर्मदा की परिक्रमा करते रहते हैं।
- मान्यता ये भी है कि गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अस्वत्थामा आज भी नर्मदा की परिक्रमा कर रहे हैं।
- मां नर्मदा को वेदों में वैराग्य की अधिष्ठात्री माना गया है।
- नर्मदा परिक्रमा प्रारंभ करने से पहले श्रद्धालु उन्हें लोहे की एक कड़ाही भेंट करते हैं। तटों पर होते हैं गुप्त तप, वैज्ञानिक भी नही सुलझा पाए इस प्राचीन नदी के रहस्य तटों पर होते हैं गुप्त तप, वैज्ञानिक भी नही सुलझा पाए इस प्राचीन नदी के रहस्य… नर्मदे हर ! Source: by FB नमामि देवी नर्मदे
ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी कहते है की यदि आप किसी भी कष्ट या समस्या से जूझ रहे है तो जातक को नर्मदा स्नान करते रहना चाहिये, और यदि आप आने जाने में असमर्थ हो तो माँ नर्मदाष्टक जरूर पढ़ना चाहिए। इससे माँ नर्मदे की विशेष कृपा होती हैं और जातक मुसीबत से जल्दी निकल जाता है। जय माँ नर्मदे।

How the Sun’s Position Influences Leadership in Business
indorejyotishThe Sun, known as the king of all planets in Vedic astrology, holds significant power…

ज्योतिष दृष्टि से राशि के अनुसार आपका शुभ अंक
indorejyotishज्योतिष एक विज्ञान है जो हमारे जीवन को ब्रह्मांड की गतियों और ग्रहों की स्थितियों…

बुध ग्रह और व्यापारिक सफलता में मां स्कंदमाता की भूमिका
indorejyotishबुध ग्रह ज्योतिषी में अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है, जो व्यापार, बुद्धि, संचार और…
ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी
Astrologer Sahu Ji
Mobile: 9039636706 | 8656979221
Indore (MP)
अदिति राव की खूबसूरती में अंक ज्योतिष की भूमिका
अदिति राव हैदरी, भारतीय सिनेमा की एक प्रमुख अभिनेत्री, ने अपनी कला और अदाकारी के…
माँ भुवनेश्वरी महाविद्या की कृपा से व्यापार और करियर में सफलता के लिए ज्योतिषीय सुझाव
माँ भुवनेश्वरी महाविद्या का विशेष स्थान तंत्र साधना और ज्योतिष में है। इंदौर के प्रसिद्ध…
How Lal Kitab Can Help Overcome Family Disputes
Lal Kitab, an ancient and revered text in Vedic astrology, is known for its practical…
जूही चावला की लोकप्रियता और अभिनय करियर में अंक ज्योतिष का प्रभाव
जूही चावला की लोकप्रियता और अंक ज्योतिष: एक विश्लेषण जूही चावला, जिन्होंने अपने करियर में…
Moon Sign and Your Work-Life Balance
The pursuit of a balanced life, especially between work and personal life, is a challenge…
चांडाल योग: एक विस्तृत अध्ययन
ज्योतिष शास्त्र में विभिन्न योगों का महत्वपूर्ण स्थान है। ये योग किसी व्यक्ति की कुंडली…