हॉस्पिटल का वास्तु दोष और मरीजों पर प्रभाव

वास्तुशास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो घर, भवन, और अन्य संरचनाओं के निर्माण में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करता है। यह न केवल घरों में, बल्कि अस्पतालों, कार्यालयों और अन्य सार्वजनिक स्थानों में भी महत्वपूर्ण है। अस्पताल, जहां लोग अपनी बीमारियों का इलाज कराने आते हैं, वहाँ वास्तुशास्त्र का प्रभाव अधिक महत्वपूर्ण होता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि अस्पताल में  वास्तु दोष हैं, तो यह न केवल मरीजों की सेहत को प्रभावित कर सकता है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को भी कम कर सकता है। इस लेख में हम अस्पतालों में होने वाले वास्तु दोषों और उनके मरीजों पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

अस्पताल के स्थान का महत्व

सही दिशा का चुनाव

अस्पताल का स्थान और दिशा दोनों का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होता है। साहू जी के अनुसार सामान्यतः, अस्पतालों को उत्तरी या पूर्वी दिशा में बनाना शुभ माना जाता है। ये दिशाएँ सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं।

दक्षिण-पश्चिम दिशा में अस्पताल का निर्माण

यदि अस्पताल दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है, तो यह नकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकता है। इससे न केवल मरीजों की स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ सकती हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में भी कमी आ सकती है।

अस्पताल की मुख्य इमारत का निर्माण

मुख्य द्वार का स्थान

अस्पताल का मुख्य द्वार हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यदि मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है, तो यह नकारात्मकता को आमंत्रित कर सकता है। यह मरीजों में चिंता और तनाव का कारण बन सकता है।

विंडोज और वेंटिलेशन

अस्पताल की इमारत में पर्याप्त प्रकाश और वेंटिलेशन होना चाहिए। अगर विंडोज और दरवाजे सही दिशा में नहीं हैं, तो इससे अस्पताल के वातावरण में नकारात्मकता आ सकती है।

कमरे और वार्ड का वास्तु

बेडरूम का स्थान

अस्पताल में मरीजों के वार्ड का सही दिशा में होना जरूरी है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से दक्षिण-पश्चिम दिशा में वार्ड होने पर यह मरीजों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

वार्ड में बिस्तरों की व्यवस्था

बिस्तरों को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाना चाहिए कि सभी बिस्तर एक-दूसरे का सामना करते हों। इससे बातचीत और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।

अस्पताल में उपयोग की जाने वाली रंग योजना

रंगों का चुनाव

अस्पताल में उपयोग किए जाने वाले रंगों का भी मरीजों के मनोबल पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार हल्के रंग, जैसे सफेद, हल्का नीला, और हरा, सकारात्मकता और शांति का संचार करते हैं। यदि गहरे या उदासी भरे रंगों का उपयोग किया गया है, तो यह मरीजों के मनोबल को प्रभावित कर सकता है।

दीवारों और फर्नीचर का रंग

अस्पताल में दीवारों और फर्नीचर के रंग को ध्यान में रखना चाहिए। साहू जी के अनुसार हल्के रंगों का चयन करने से वातावरण में सकारात्मकता बनी रहती है, जबकि गहरे रंग नकारात्मकता पैदा कर सकते हैं।

फर्नीचर और उपकरणों की व्यवस्था

फर्नीचर की सही स्थिति

फर्नीचर की सही व्यवस्था अस्पताल के वातावरण को सकारात्मक या नकारात्मक बना सकती है। सभी फर्नीचर को इस प्रकार रखा जाना चाहिए कि मरीजों के लिए आरामदायक और सुविधाजनक हो।

उपकरणों की स्थिति

अस्पताल में चिकित्सा उपकरणों की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है। साहू जी के अनुसार उन्हें ऐसी जगह रखा जाना चाहिए जहाँ से उनका उपयोग आसानी से किया जा सके। यदि उपकरण सही दिशा में नहीं हैं, तो यह चिकित्सा प्रक्रियाओं में बाधा डाल सकता है।

शौचालय और अन्य सहायक सुविधाएँ

शौचालय का स्थान

अस्पताल में शौचालय को उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। यदि यह दक्षिण दिशा में है, तो यह नकारात्मकता का संचार कर सकता है और मरीजों की सेहत को प्रभावित कर सकता है।

सफाई और स्वच्छता

अस्पताल की सफाई और स्वच्छता भी  वास्तु के अनुसार होनी चाहिए। गंदगी और अव्यवस्था नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देती है, जिससे मरीजों में चिंता और तनाव बढ़ता है।

मरीजों पर प्रभाव

मानसिक स्वास्थ्य

अस्पताल का  वास्तु  दोष मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। साहू जी के अनुसार यदि अस्पताल का वातावरण नकारात्मक है, तो यह मरीजों में चिंता, तनाव, और अवसाद पैदा कर सकता है।

स्वास्थ्य में कमी

वास्तु दोषों के कारण मरीजों की स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ सकती हैं। जैसे, यदि अस्पताल में चिकित्सा उपकरण सही दिशा में नहीं हैं, तो यह इलाज की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।

मरीजों की वापसी

अस्पताल का  वास्तु मरीजों की वापसी दर पर भी प्रभाव डाल सकता है। यदि मरीजों को अस्पताल में सकारात्मक अनुभव नहीं होता है, तो वे वापस आने से कतराएंगे।

उपाय और समाधान

अस्पताल की संरचना में बदलाव

यदि अस्पताल में वास्तु  दोष हैं, तो इसकी संरचना में बदलाव करना आवश्यक हो सकता है। जैसे कि मुख्य द्वार का स्थान बदलना, वार्ड की व्यवस्था में सुधार करना, आदि।

वास्तु विशेषज्ञ की सलाह

कभी-कभी, अस्पताल के  वास्तु दोषों को समझने और सुधारने के लिए एक वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक होता है। वे सही दिशा और उपायों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं।

सकारात्मक ऊर्जा का संचार

 साहू जी के अनुसार अस्पताल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए साधारण उपाय जैसे पौधे लगाना, हल्के रंगों का उपयोग करना, और स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है।

अस्पताल का वास्तु दोष मरीजों के स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, अस्पतालों को वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करके बनाया जाना चाहिए। इससे न केवल मरीजों का स्वास्थ्य सुधरेगा, बल्कि अस्पताल की सेवाएँ भी बेहतर होंगी।  भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार वास्तुशास्त्र को अपनाकर हम एक सकारात्मक वातावरण बना सकते हैं, जहाँ मरीज तेजी से ठीक हो सकें और उनके मन में विश्वास बना रहे।

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