वास्तु दोष और उनके निवारण: ज्योतिषीय दृष्टिकोण से समाधान

वास्तु शास्त्र हमारे जीवन को संतुलित और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार वास्तु दोष तब उत्पन्न होते हैं जब हमारे घर, ऑफिस या व्यापारिक स्थल का निर्माण या उनमें रखे गए सामान वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार न हों। ये दोष जीवन में नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, जैसे कि आर्थिक समस्याएँ, पारिवारिक कलह, स्वास्थ्य समस्याएँ और मानसिक तनाव।

वास्तु शास्त्र और ज्योतिष एक-दूसरे से गहरे जुड़े हुए हैं।साहू जी के अनुसार ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव को संतुलित रखने के लिए वास्तु का सही होना आवश्यक है। यदि वास्तु दोष होते हैं, तो ज्योतिष में इसके निवारण के लिए विशेष उपाय बताए गए हैं। इस ब्लॉग में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि वास्तु दोष क्या होते हैं, उनके कारण और उन्हें दूर करने के ज्योतिषीय निवारण के उपाय।

वास्तु दोष क्या है? 

वास्तु शास्त्र के अनुसार, हर दिशा किसी विशेष तत्व से जुड़ी होती है, जैसे उत्तर जल तत्व से, दक्षिण अग्नि तत्व से, पूर्व वायु तत्व से और पश्चिम पृथ्वी तत्व से जुड़ा होता है। जब किसी भवन या घर का निर्माण इन दिशाओं और तत्वों के सिद्धांतों के खिलाफ होता है, तो इसे वास्तु दोष कहा जाता है।

वास्तु दोष केवल इमारत की संरचना तक ही सीमित नहीं होते; यह घर के भीतर रखे गए सामानों की स्थिति, उनके रंग, और ऊर्जा संतुलन से भी संबंधित होते हैं।

वास्तु दोष के कारण 

वास्तु दोष विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे:

  • घर का मुख पूर्व या उत्तर की दिशा में न होना
  • रसोई, बाथरूम, या शौचालय का गलत दिशा में होना
  • उत्तर-पूर्व दिशा में भारी वस्तुएं रखना
  • दक्षिण-पश्चिम दिशा में पानी के स्रोतों का होना
  • घर के चारों ओर पर्याप्त रोशनी और हवादार व्यवस्था का न होना

ये वास्तु दोष घर के सदस्यों के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य, समृद्धि, और मानसिक शांति प्रभावित हो सकती है।

विभिन्न प्रकार के वास्तु दोष 

वास्तु शास्त्र में कई प्रकार के दोष हो सकते हैं जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित कर सकते हैं:

  • मुख्य द्वार का वास्तु दोष: यदि घर का मुख्य द्वार गलत दिशा में होता है या वहां पर कोई बाधा होती है, तो यह परिवार की समृद्धि और सौभाग्य को प्रभावित कर सकता है।

  • रसोई का वास्तु दोष: रसोई का अग्नि तत्व से जुड़ाव होता है, इसलिए इसे दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए अगर यह दिशा गलत होती है, तो परिवार के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

  • शयन कक्ष का वास्तु दोष: शयन कक्ष में बिस्तर की दिशा और कमरे की स्थिति यदि वास्तु सिद्धांतों के अनुसार न हो, तो इससे नींद में बाधा, मानसिक तनाव और रिश्तों में समस्याएं हो सकती हैं।

  • बाथरूम और शौचालय का वास्तु दोष: उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम या शौचालय होने से स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

वास्तु दोष के नकारात्मक प्रभाव 

वास्तु दोष कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • स्वास्थ्य समस्याएं: बार-बार बीमार पड़ना या किसी गंभीर बीमारी का होना।
  • आर्थिक समस्याएं: धन की कमी, व्यापार में नुकसान, निवेश में घाटा।
  • रिश्तों में समस्याएं: परिवार में कलह, झगड़े और मनमुटाव।
  • मानसिक तनाव: चिंता, अवसाद, और मानसिक अस्थिरता।

इन समस्याओं को दूर करने के लिए वास्तु के दोषों का निवारण करना बहुत जरूरी है।

वास्तु दोष निवारण के ज्योतिषीय उपाय 

वास्तु दोष को दूर करने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इन उपायों को अपनाकर घर या कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया जा सकता है। यहाँ कुछ प्रमुख निवारण उपाय दिए जा रहे हैं:

मुख्य द्वार का वास्तु दोष निवारण 

  • घर का मुख्य द्वार हमेशा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। साहू जी के अनुसार यदि यह संभव न हो, तो मुख्य द्वार के पास ‘स्वस्तिक’ या ‘ओम’ का चिन्ह लगाएं।

  • मुख्य द्वार को साफ-सुथरा और रोशनी से भरपूर रखें ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सके।

  • मुख्य द्वार के ऊपर एक पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर लगाएं।

रसोई का वास्तु दोष निवारण 

  • रसोई दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए। अगर यह संभव न हो, तो रसोई में तांबे के बर्तन का उपयोग करें और अग्नि के पास लाल रंग का बल्ब लगाएं।

  • रसोई में हमेशा सफाई रखें और वहां पर कबाड़ न जमा होने दें।

शयन कक्ष का वास्तु दोष निवारण 

  • शयन कक्ष को हमेशा दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखें। बिस्तर को इस तरह रखें कि सोते समय आपका सिर दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर हो।
  • अगर बिस्तर की दिशा गलत हो, तो बिस्तर के पास वास्तु पिरामिड रखें।

बाथरूम और शौचालय का वास्तु दोष निवारण 

  • बाथरूम और शौचालय को हमेशा उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें। अगर यह उत्तर-पूर्व में हो, तो वहां वास्तु दोष निवारण के लिए पिरामिड का उपयोग करें।

  • बाथरूम में रोज़ नमक का उपयोग करें। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

उत्तर-पूर्व दिशा का वास्तु दोष निवारण 

  • उत्तर-पूर्व दिशा को हमेशा साफ और हल्का रखें। इस दिशा में भारी सामान न रखें।

  • इस दिशा में रोजाना सुबह सूर्य की किरणों का प्रवेश होने दें और वहां जल का स्थान बनाएं।

रुद्राक्ष और अन्य ज्योतिषीय उपाय 

  • रुद्राक्ष का उपयोग वास्तु दोषों के निवारण में किया जा सकता है। घर के विभिन्न स्थानों पर रुद्राक्ष की माला लगाने से नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सकता है।

  • घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर से स्वस्तिक या ॐ का निशान बनाएं। यह शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।

  • वास्तु दोषों को कम करने के लिए घर में नियमित रूप से कपूर जलाना लाभकारी होता है।

वास्तु यंत्र और पिरामिड का उपयोग 

घर में वास्तु यंत्र या पिरामिड का उपयोग वास्तु दोषों को कम करने में सहायक होता है। इनका सही दिशा में उपयोग करने से घर की ऊर्जा संतुलित रहती है।
  • पिरामिड को उत्तर-पूर्व दिशा में रखना विशेष रूप से लाभकारी होता है।

ध्यान और प्रार्थना 

  • नियमित ध्यान और प्रार्थना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ध्यान का स्थान उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
  • सुबह-सुबह घर में घंटी या शंख बजाना भी शुभ माना जाता है, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार वास्तु दोष हमारे जीवन पर कई प्रकार से नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, लेकिन इन दोषों को ज्योतिष और वास्तुशास्त्र के उपायों से दूर किया जा सकता है। सही दिशा, संतुलित ऊर्जा, और उचित उपायों को अपनाकर घर में सकारात्मकता और समृद्धि लाई जा सकती है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, वास्तु दोषों का निवारण करने से ग्रहों की स्थिति भी संतुलित रहती है, जिससे जीवन में शांति, स्वास्थ्य, और संपन्नता बनी रहती है।

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