कार्यालय और व्यवसाय के लिए वास्तु: ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सफलता और समृद्धि के उपाय

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विद्या है, जो हमारे जीवन में समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त करने के लिए स्थान और दिशा के वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह विज्ञान न केवल घर के लिए बल्कि व्यवसायिक और कार्यालय स्थानों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक व्यवसायिक स्थल का वास्तु सही होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह प्रत्यक्ष रूप से व्यवसाय की वृद्धि, मुनाफा, कर्मचारियों की कार्य क्षमता और संगठन के सकारात्मक माहौल को प्रभावित करता है।

ज्योतिष और वास्तु का संबंध

वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का आपस में गहरा संबंध है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ग्रहों की स्थिति हमारे जीवन में प्रमुख भूमिका निभाती है। साहू जी के अनुसार यदि कार्यालय या व्यापार स्थल का वास्तु सही हो, तो यह ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को कम करने में सहायक होता है और ज्योतिषीय दोषों का निवारण करता है। इसके साथ ही, सही दिशा और स्थान पर बैठे हुए व्यक्ति की कार्यक्षमता और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है, जिससे व्यापार में उन्नति होती है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि कार्यालय या व्यापार स्थल का वास्तु कैसे होना चाहिए और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से किन उपायों का पालन करके सफलता प्राप्त की जा सकती है।

कार्यालय के लिए सही दिशा का चयन 

कार्यालय का वास्तु सही होने पर व्यापार में सफलता प्राप्त करना आसान हो जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहां पर कुछ महत्वपूर्ण दिशाएं हैं, जिनका ध्यान रखकर आप अपने कार्यालय के लिए सही स्थान और दिशा का चयन कर सकते हैं:

  • उत्तर दिशा: उत्तर दिशा को धन और समृद्धि की दिशा माना जाता है। कुबेर, जो धन के देवता हैं, इस दिशा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस दिशा में कार्यालय का मुख्य द्वार होने से धन की वृद्धि होती है और वित्तीय समस्याएं दूर होती हैं। उत्तर दिशा में अपने कार्यालय का मुख्य दरवाजा रखना अत्यंत शुभ होता है। इसके अलावा, इस दिशा में वित्तीय कक्ष (Accounts Department) रखने से धन की वृद्धि में मदद मिलती है।

  • पूर्व दिशा: पूर्व दिशा सूर्य की दिशा होती है और यह नई शुरुआत, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है। साहू जी के अनुसार इस दिशा में मुख्य द्वार रखने से व्यापार में उन्नति होती है। पूर्व दिशा में बैठने वाले व्यक्ति के निर्णय अधिक प्रभावी और सटीक होते हैं। यह दिशा प्रबंधकों और शीर्ष अधिकारियों के लिए उत्तम मानी जाती है।

  • दक्षिण दिशा: दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है, और इसे विशेष रूप से ध्यान में रखना जरूरी है। यह दिशा व्यापारिक स्थिरता और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिशा में भारी फर्नीचर या स्टोर रूम रखना उचित होता है। हालांकि, दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार रखना शुभ नहीं माना जाता, लेकिन इस दिशा में प्रबंधन के कक्ष रखने से व्यापारिक निर्णयों में स्थिरता आती है।

  • पश्चिम दिशा: पश्चिम दिशा नवाचार और विस्तार की दिशा मानी जाती है। यदि आपका व्यवसाय तकनीकी या रचनात्मक कार्यों से संबंधित है, तो इस दिशा में कार्य कक्ष रखना अत्यधिक लाभदायक हो सकता है। इस दिशा में रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) विभाग को रखना शुभ होता है।

कार्यालय का सही लेआउट 

कार्यालय के विभिन्न हिस्सों का सही स्थान पर होना वास्तु शास्त्र के अनुसार आवश्यक है। यह न केवल सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है, बल्कि कर्मचारियों की उत्पादकता और व्यापार की सफलता में भी योगदान देता है।

  • प्रवेश द्वार: जैसा कि पहले बताया गया है, कार्यालय का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में होना शुभ माना जाता है। मुख्य द्वार पर हमेशा हल्की सजावट होनी चाहिए और द्वार को साफ-सुथरा रखना चाहिए। इसके साथ ही, द्वार पर शुभ प्रतीक जैसे स्वस्तिक या ओम का चिह्न बनाना अत्यंत शुभ होता है।

  • प्रबंधक का कक्ष: प्रबंधक या व्यवसाय के मालिक का कक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। साहू जी के अनुसार यह दिशा स्थिरता और नियंत्रण का प्रतीक मानी जाती है, और इस दिशा में बैठकर व्यक्ति अपने व्यापार में बेहतर निर्णय ले सकता है। ध्यान रहे कि प्रबंधक का चेहरा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो, क्योंकि यह दिशा निर्णय क्षमता को बढ़ाती है।

  • कर्मचारियों के बैठने की दिशा: कर्मचारियों की सीटें इस प्रकार लगाई जानी चाहिए कि उनका चेहरा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो। यह उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करता है और उन्हें अधिक प्रेरित करता है। पश्चिम दिशा में बैठने वाले कर्मचारी नवाचार और नए विचारों में अधिक सक्षम होते हैं, जबकि उत्तर दिशा में बैठने वाले अधिक व्यावहारिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से निर्णय लेते हैं।

  • वित्तीय कक्ष: जैसा कि पहले बताया गया है, उत्तर दिशा में वित्तीय कक्ष रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। साहू जी के अनुसार यह कक्ष धन की वृद्धि और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, इस कक्ष में धन से जुड़े कागजात और लॉकर को भी उत्तर दिशा में रखना चाहिए।

कार्यालय में ऊर्जा संतुलन के लिए वास्तु उपाय

कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाने के लिए वास्तु शास्त्र के कई उपाय हैं। यहां पर कुछ प्रमुख उपाय दिए गए हैं:

  • सकारात्मक ऊर्जा के लिए पौधे: कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए पौधे लगाना एक उत्तम उपाय है। साहू जी के अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा में हरे पौधे लगाने से वहां की ऊर्जा संतुलित होती है और व्यापार में वृद्धि होती है। बांस का पौधा विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि यह धन और समृद्धि का प्रतीक है।

  • जल तत्व: उत्तर दिशा में जल तत्व से जुड़े वास्तु उपाय जैसे फव्वारा या जल कुंड लगाने से धन की वृद्धि होती है। यह उपाय न केवल आर्थिक स्थिरता लाता है, बल्कि व्यापार में भी उन्नति प्रदान करता है। ध्यान रहे कि जल तत्व हमेशा स्वच्छ और प्रवाहित रहना चाहिए।

  • संगमरमर के उपयोग: कार्यालय में संगमरमर का उपयोग विशेष रूप से मुख्य द्वार या रिसेप्शन क्षेत्र में करने से वहां की ऊर्जा को शुद्ध किया जा सकता है। यह व्यापार में नकारात्मक ऊर्जा को कम करता है और सकारात्मकता का संचार करता है।

वास्तु दोष और उनके निवारण

वास्तु दोष व्यवसायिक स्थलों में कई समस्याओं का कारण बन सकते हैं। यहां कुछ सामान्य वास्तु दोष और उनके निवारण के उपाय दिए गए हैं:

  • मुख्य द्वार का दोष: यदि कार्यालय का मुख्य द्वार दक्षिण या पश्चिम दिशा में हो, तो यह वास्तु दोष हो सकता है। इसका निवारण करने के लिए मुख्य द्वार के पास तुलसी का पौधा लगाएं और दरवाजे पर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।

  • दिशा दोष: यदि कर्मचारियों की बैठने की दिशा गलत हो, तो इसका निवारण करने के लिए उत्तर-पूर्व दिशा में जल स्रोत लगाएं। इससे वहां की ऊर्जा संतुलित होगी और व्यवसाय में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।

 व्यवसाय में उन्नति के लिए ज्योतिषीय उपाय

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से व्यापार में उन्नति के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • रुद्राक्ष धारण करें: व्यापारिक स्थान में सकारात्मकता और ग्रहों की दशा सुधारने के लिए रुद्राक्ष धारण करें। यह उपाय विशेष रूप से बुध और शनि ग्रह के प्रभाव को नियंत्रित करने में मदद करता है।

  • गोमेद धारण करें: राहु ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए गोमेद धारण करें। यह व्यापारिक विवादों और कानूनी मामलों से बचने में मदद करता है।

सफलता के लिए ध्यान और साधना

कार्यालय में ध्यान और साधना का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार व्यवसाय में शांति और संतुलन बनाए रखने के लिए कार्यालय के एक कोने में ध्यान स्थल बना सकते हैं। यहां नियमित रूप से ध्यान और प्रार्थना करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्यापार में निरंतर उन्नति होती है।

व्यवसायिक स्थल का वास्तु शास्त्र के अनुसार सही होना न केवल व्यापारिक सफलता के लिए आवश्यक है, बल्कि यह कर्मचारियों की कार्यक्षमता और व्यापारिक निर्णयों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सही वास्तु उपायों का पालन करके व्यापार में समृद्धि, स्थिरता और सफलता प्राप्त की जा सकती है।साहू जी के अनुसार यदि आप अपने कार्यालय या व्यापारिक स्थल का वास्तु सही करवाते हैं, तो यह आपको एक सफल, संतुलित और उन्नत व्यापारिक जीवन प्रदान करेगा।”

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अनिल गुप्ता, इंदौर (Google reviews)

“वास्तु शास्त्र को लेकर मेरी कुछ शंकाएँ थीं और मैंने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से परामर्श किया। उन्होंने मेरे घर के वास्तु दोषों को ठीक करने के लिए सरल और प्रभावी उपाय सुझाए। अब हमारे घर में शांति और समृद्धि आ गई है। वास्तु के क्षेत्र में उनका ज्ञान बहुत ही गहरा है।”

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