ज्योतिष विज्ञान में ग्रहों की दृष्टि (Aspect) का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनकी दृष्टियाँ उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती हैं। ग्रहों की दृष्टि का अर्थ है कि कोई ग्रह किस-किस स्थान पर प्रभाव डाल रहा है। ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक ग्रह की दृष्टि का विशिष्ट महत्व और प्रभाव होता है। आइए, जानते हैं विभिन्न ग्रहों की दृष्टि और उनके असर के बारे में विस्तार से।
ग्रहों की दृष्टि का महत्व
जन्म कुंडली में ग्रहों की दृष्टि को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि ये दृष्टियाँ उस घर या भाव पर अपना प्रभाव डालती हैं जहाँ वे दृष्टि डाल रही हैं। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह प्रभाव सकारात्मक भी हो सकता है और नकारात्मक भी। यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सा ग्रह किस भाव पर दृष्टि डाल रहा है और वह ग्रह किस प्रकार का है।
विभिन्न ग्रहों की दृष्टि और उनके प्रभाव
सूर्य
- दृष्टि: सूर्य अपनी वर्तमान स्थिति से सातवें भाव पर दृष्टि डालता है।
- असर: सूर्य की दृष्टि जिस भाव पर पड़ती है, वहां आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और उच्च आदर्शों का विकास होता है। यह दृष्टि उस भाव में स्थित ग्रहों की शक्ति को भी बढ़ाती है।
चंद्र
- दृष्टि: चंद्रमा भी अपनी वर्तमान स्थिति से सातवें भाव पर दृष्टि डालता है।
- असर: चंद्रमा की दृष्टि जिस भाव पर पड़ती है, वहां मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन और रचनात्मकता का विकास होता है। यह दृष्टि उस भाव में स्थित ग्रहों की कोमलता और संवेदनशीलता को बढ़ाती है।
मंगल
- दृष्टि: मंगल अपनी वर्तमान स्थिति से चौथे, सातवें और आठवें भाव पर दृष्टि डालता है।
- असर: मंगल की दृष्टि जिस भाव पर पड़ती है, वहां ऊर्जा, साहस और सक्रियता का संचार होता है। यह दृष्टि उस भाव में स्थित ग्रहों की शक्ति को उत्तेजित करती है, जो कभी-कभी विवाद और संघर्ष भी उत्पन्न कर सकती है।
बुध
- दृष्टि: बुध अपनी वर्तमान स्थिति से सातवें भाव पर दृष्टि डालता है
- असर: बुध की दृष्टि जिस भाव पर पड़ती है, वहां बुद्धिमता, तर्कशक्ति और संचार कौशल का विकास होता है। यह दृष्टि उस भाव में स्थित ग्रहों की विश्लेषणात्मक क्षमता को बढ़ाती है।
गुरु
- दृष्टि: गुरु अपनी वर्तमान स्थिति से पांचवें, सातवें और नवें भाव पर दृष्टि डालता है।
- असर: गुरु की दृष्टि जिस भाव पर पड़ती है, वहां ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य का विकास होता है। यह दृष्टि उस भाव में स्थित ग्रहों की शुभता को बढ़ाती है।
शुक्र
- दृष्टि: शुक्र अपनी वर्तमान स्थिति से सातवें भाव पर दृष्टि डालता है।
- असर: शुक्र की दृष्टि जिस भाव पर पड़ती है, वहां प्रेम, सौंदर्य और आराम का विकास होता है। यह दृष्टि उस भाव में स्थित ग्रहों की कलात्मकता और आकर्षण को बढ़ाती है।
शनि
- दृष्टि: शनि अपनी वर्तमान स्थिति से तीसरे, सातवें और दसवें भाव पर दृष्टि डालता है।
- असर: शनि की दृष्टि जिस भाव पर पड़ती है, वहां अनुशासन, धैर्य और स्थिरता का विकास होता है। यह दृष्टि उस भाव में स्थित ग्रहों की गंभीरता और कार्यक्षमता को बढ़ाती है।
राहु और केतु
दृष्टि: राहु और केतु भी अपनी वर्तमान स्थिति से पांचवें, सातवें और नवें भाव पर दृष्टि डालते हैं।
- असर: राहु की दृष्टि जहां पड़ती है, वहां अस्थिरता, भ्रम और अनिश्चितता का संचार होता है, जबकि केतु की दृष्टि वहां विरक्ति, आध्यात्मिकता और रहस्यवाद का विकास करती है
ग्रहों की दृष्टि के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव
ग्रहों की दृष्टि का प्रभाव कई बार शुभ और कई बार अशुभ हो सकता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि कोई शुभ ग्रह अपनी दृष्टि डालता है, तो उस भाव में स्थित ग्रहों और उस भाव के क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, गुरु की दृष्टि से शिक्षा, धन और धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि हो सकती है।
वहीं, अगर कोई अशुभ ग्रह अपनी दृष्टि डालता है, तो उस भाव में स्थित ग्रहों और क्षेत्रों में समस्याएं और चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। जैसे कि, शनि की दृष्टि से विलंब, संघर्ष और कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है।
ज्योतिष विज्ञान में ग्रहों की दृष्टि का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा को प्रभावित करती है, बल्कि उसके व्यक्तित्व और मानसिकता को भी आकार देती है। ग्रहों की दृष्टि को समझना और उसका सही विश्लेषण करना एक कुशल ज्योतिष के लिए आवश्यक होता है, ताकि वह व्यक्ति को सही मार्गदर्शन दे सके।
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