मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से कुंडली में अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम करने के ज्योतिषीय उपाय

नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के द्वितीय रूप, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी तपस्या, संयम, साधना और अध्यात्म की देवी मानी जाती हैं। उनकी आराधना व्यक्ति के जीवन में संयम और शांति लाती है और कुंडली में उपस्थित अशुभ ग्रहों के दुष्प्रभाव को शांत करती है। इस लेख में, हम मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने के ज्योतिषीय उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

मां ब्रह्मचारिणी का रूप तपस्या का प्रतीक है। उनकी तपस्या से ही भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। साहू जी के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी की पूजा जीवन में आत्म-संयम, धैर्य और साधना के महत्व को बताती है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, उनकी पूजा से कुंडली में उपस्थित अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है। मां ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है और जीवन में शांति और संतुलन लाने में मदद करता है।

कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव:

ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि कुंडली में ग्रह अशुभ या प्रतिकूल स्थिति में होते हैं, तो जीवन में बाधाएं, कठिनाइयां और असफलताएं आती हैं। ऐसे में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और कुछ विशेष ज्योतिषीय उपाय अशुभ ग्रहों के दुष्प्रभाव को शांत करने में सहायक होते हैं।

अशुभ ग्रहों के संकेत:

  • आर्थिक तंगी और धन हानि
  • मानसिक तनाव और असंतुलन
  • स्वास्थ्य समस्याएं
  • पारिवारिक और वैवाहिक जीवन में कठिनाइयां
  • करियर में बाधाएं और असफलता

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा इन समस्याओं को कम करने में मदद करती है और कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव को शांत करती है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के ज्योतिषीय लाभ:

शनि ग्रह का शांति: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव को शांत किया जा सकता है। साहू जी के अनुसार जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, वे जीवन में संघर्ष, रोग और बाधाओं का सामना करते हैं। उनकी आराधना से शनि के दोष कम होते हैं और व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और सुरक्षा आती है।

मंगल दोष का निवारण: कुंडली में मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति व्यक्ति को क्रोध, दुर्घटनाओं और शारीरिक कष्टों का सामना करने के लिए विवश कर देती है। मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से मंगल दोष शांत होता है और व्यक्ति का आत्म-संयम और धैर्य बढ़ता है।

राहु और केतु के दोष: राहु और केतु के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति भ्रमित और मानसिक रूप से अस्थिर हो जाता है। उनकी पूजा से राहु-केतु के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है, और जीवन में स्पष्टता और शांति आती है।

बुध ग्रह का सुधार: मां ब्रह्मचारिणी की आराधना बुध ग्रह की स्थिति को भी सुधारती है। साहू जी के अनुसार बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक असंतुलन और संवाद में कठिनाई होती है। उनकी पूजा से बुध ग्रह के दोष दूर होते हैं और संवाद और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।

गुरु ग्रह का आशीर्वाद: मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से गुरु ग्रह के अशुभ प्रभाव को भी दूर किया जा सकता है। गुरु ग्रह का अशुभ प्रभाव व्यक्ति के जीवन में शिक्षा और ज्ञान की कमी लाता है। उनकी पूजा से व्यक्ति में ज्ञान, आध्यात्मिकता और शिक्षा की वृद्धि होती है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और ज्योतिषीय उपाय:

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा एक विशेष विधि के साथ की जाती है। यहां कुछ विशेष ज्योतिषीय उपाय दिए गए हैं, जिन्हें नवरात्रि के समय अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन से अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम कर सकता है।

सफेद वस्त्र धारण करें: मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। साहू जी के अनुसार पूजा के समय सफेद वस्त्र धारण करें, जिससे चंद्रमा और बुध ग्रह के दोष शांत होंगे और मानसिक स्थिरता आएगी।

दूध और चीनी का अर्पण: मां ब्रह्मचारिणी को दूध और चीनी का अर्पण करें। यह उपाय चंद्रमा और शुक्र ग्रह के दोषों को दूर करने के लिए अत्यंत प्रभावी है। इससे व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति का संचार होता है।

मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र का जाप: “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। साहू जी के अनुसार यह मंत्र कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।

रुद्राक्ष की माला का प्रयोग: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। यह उपाय शनि और राहु-केतु के दोषों को शांत करने में सहायक होता है।

तपस्या और संयम का व्रत: नवरात्रि के समय मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ-साथ तपस्या और संयम का पालन करें। इससे जीवन में स्थिरता आती है और मंगल ग्रह के दोष शांत होते हैं।

हल्दी और चंदन का अर्पण: मां ब्रह्मचारिणी को हल्दी और चंदन का अर्पण करें। साहू जी के अनुसार यह उपाय गुरु और बुध ग्रह के दोषों को शांत करने के लिए अत्यंत लाभकारी है।

घी का दीपक जलाएं: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में घी का दीपक जलाएं। इससे सूर्य और मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है और जीवन में शांति प्राप्त होती है।

राशि अनुसार मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के विशेष उपाय:

हर राशि के लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से अलग-अलग लाभ होते हैं। यहां राशि अनुसार कुछ विशेष ज्योतिषीय उपाय दिए जा रहे हैं:

मेष राशि: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ सफेद वस्त्र धारण करें और शनि दोष को शांत करने के लिए घी का दीपक जलाएं।

वृषभ राशि: मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से मंगल और राहु के दोष शांत करने के लिए रुद्राक्ष की माला का जाप करें।

मिथुन राशि: बुध ग्रह के दोषों को शांत करने के लिए मां ब्रह्मचारिणी को चंदन का अर्पण करें और “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” मंत्र का जाप करें।

कर्क राशि: चंद्रमा के दोष को शांत करने के लिए दूध और चीनी का अर्पण करें और सफेद वस्त्र पहनें।

सिंह राशि: शनि और मंगल के दोषों को दूर करने के लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ संयम और तपस्या का पालन करें।

राशि: बुध ग्रह की कृपा के लिए मां ब्रह्मचारिणी को हल्दी अर्पित करें और संवाद में सुधार प्राप्त करें।

तुला राशि: राहु और केतु के दोषों को शांत करने के लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ रुद्राक्ष की माला का जाप करें।

वृश्चिक राशि: मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में घी का दीपक जलाएं और संयम का पालन करें।

धनु राशि: गुरु ग्रह के दोषों को शांत करने के लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ हल्दी और चंदन का अर्पण करें।

मकर राशि: शनि ग्रह के दोषों को शांत करने के लिए सफेद वस्त्र धारण करें और मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करें।

कुंभ राशि: राहु और केतु के दोषों को दूर करने के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें और मां ब्रह्मचारिणी का आह्वान करें।

मीन राशि: चंद्रमा और शुक्र के दोषों को शांत करने के लिए दूध और चीनी का अर्पण करें और मां ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त करें।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसका गहरा प्रभाव है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार उनकी आराधना से कुंडली में उपस्थित अशुभ ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है और जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है।

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TESTIMONIALS

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