मां शैलपुत्री की आराधना से जीवन में स्थिरता और समृद्धि पाने के ज्योतिषीय समाधान

नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम रूप, मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। उन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है, जिसके कारण उनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार मां शैलपुत्री न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इनकी पूजा जीवन में स्थिरता, समृद्धि और सुरक्षा लाने का प्रतीक मानी जाती है। इस लेख में, हम मां शैलपुत्री की आराधना से जुड़े ज्योतिषीय उपायों और इसके प्रभावों पर चर्चा करेंगे, जो जीवन में स्थिरता और समृद्धि लाने में सहायक होते हैं।

मां शैलपुत्री का महत्व:

मां शैलपुत्री को नवरात्रि में पूजे जाने वाले नवदुर्गा के नौ रूपों में से पहला रूप माना जाता है। वे शक्ति, धैर्य और शक्ति का प्रतीक हैं। साहू जी के अनुसार उनकी पूजा से मानसिक स्थिरता, शांति और जीवन के हर क्षेत्र में स्थिरता प्राप्त होती है। ज्योतिष के अनुसार, मां शैलपुत्री की पूजा से चंद्रमा के दोष शांत होते हैं, जो जीवन के मानसिक और भावनात्मक पक्षों को प्रभावित करता है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से मां शैलपुत्री की आराधना:

ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा मन, भावना और जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जिन व्यक्तियों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है या अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें मानसिक तनाव, अस्थिरता और भावनात्मक संघर्ष का सामना करना पड़ता है। मां शैलपुत्री की आराधना चंद्रमा की शांति और जीवन में मानसिक संतुलन प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

कुंडली में चंद्र दोष के लक्षण:

  • मानसिक अस्थिरता और चिंता
  • निर्णय लेने में कठिनाई
  • पारिवारिक जीवन में अशांति
  • नींद में कमी और तनाव
  • मानसिक और भावनात्मक समस्याएं

मां शैलपुत्री की आराधना के माध्यम से इन समस्याओं का निवारण किया जा सकता है। साहू जी के अनुसारविशेष रूप से चंद्रमा की कमजोर स्थिति वाले जातकों के लिए यह पूजा अत्यधिक लाभकारी होती है।

मां शैलपुत्री की आराधना के ज्योतिषीय लाभ:

पारिवारिक सुख और शांति: मां शैलपुत्री की कृपा से पारिवारिक जीवन में शांति और समृद्धि आती है। जिन व्यक्तियों को पारिवारिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो, उनके लिए मां शैलपुत्री की पूजा अत्यधिक लाभकारी होती है।

चंद्र दोष शांति: जिनकी कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें मानसिक अस्थिरता और निर्णय लेने में कठिनाई होती है। मां शैलपुत्री की पूजा से चंद्रमा की स्थिति में सुधार होता है, जिससे जीवन में मानसिक स्थिरता आती है।

भावनात्मक संतुलन: चंद्रमा के कमजोर होने पर व्यक्ति के भावनात्मक जीवन में तनाव और असंतुलन आ जाता है। साहू जी के अनुसार मां शैलपुत्री की आराधना से भावनात्मक स्थिरता प्राप्त होती है और व्यक्ति भावनात्मक रूप से मजबूत बनता है।

स्वास्थ्य लाभ: चंद्रमा का संबंध मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से होता है। मां शैलपुत्री की आराधना से स्वास्थ्य में सुधार होता है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।

आर्थिक स्थिरता: मां शैलपुत्री की पूजा से न केवल मानसिक स्थिरता मिलती है, बल्कि आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है। साहू जी के अनुसार वे धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं, जिनकी कृपा से व्यक्ति के आर्थिक पक्ष में स्थिरता आती है।

मां शैलपुत्री की पूजा विधि:

मां शैलपुत्री की पूजा विधि सरल होती है और इसका ज्योतिषीय महत्व भी बहुत बड़ा है। नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की विशेष पूजा की जाती है। यहां कुछ सरल उपाय दिए जा रहे हैं जो जीवन में स्थिरता और समृद्धि लाने में मदद करेंगे।

शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना: नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना करें और मां शैलपुत्री का आह्वान करें। साहू जी के अनुसार कलश स्थापना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

श्वेत वस्त्र धारण करें: मां शैलपुत्री को सफेद रंग अत्यधिक प्रिय है। पूजा के समय श्वेत वस्त्र धारण करें, जिससे चंद्रमा की कृपा प्राप्त होगी और जीवन में शांति और समृद्धि आएगी।

दूध और चावल का अर्पण: मां शैलपुत्री को दूध और चावल का अर्पण करें। यह चंद्रमा के दोषों को शांत करने के लिए एक सरल और प्रभावी उपाय है। इससे मानसिक और भावनात्मक संतुलन प्राप्त होता है।

मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप: “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। साहू जी के अनुसार इस मंत्र का जाप चंद्र दोष को शांत करने के साथ-साथ जीवन में मानसिक स्थिरता लाने में सहायक होता है।

चंदन और फूलों का अर्पण: मां शैलपुत्री को चंदन और सफेद फूल अर्पित करें। यह पूजा आपके जीवन में शांति और समृद्धि लाने में अत्यधिक लाभकारी होगा।

दर्गा सप्तशती का पाठ: साहू जी के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मां शैलपुत्री की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में मानसिक, आर्थिक और भावनात्मक स्थिरता आती है।

    राशि अनुसार मां शैलपुत्री की पूजा के विशेष उपाय:

    हर राशि के लिए मां शैलपुत्री की पूजा से अलग-अलग लाभ होते हैं। यहां राशि अनुसार कुछ विशेष ज्योतिषीय उपाय दिए गए हैं:

    मेष राशि: साहू जी के अनुसार मां शैलपुत्री की पूजा के साथ सफेद वस्त्र पहनकर चंद्रमा की शांति के लिए विशेष उपाय करें।

    वृषभ राशि: दूध और चावल का अर्पण करें और सफेद रंग की वस्तुओं का दान करें।

    मिथुन राशि: चंद्र दोष शांति के लिए मां शैलपुत्री की पूजा के साथ दूध का दान करें।

    कर्क राशि: चंद्रमा की कृपा के लिए मां शैलपुत्री को सफेद फूल और चंदन अर्पित करें।

    सिंह राशि: मां शैलपुत्री की पूजा के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और शांति प्राप्त करें।

    कन्या राशि: चंद्रमा की कृपा के लिए सफेद वस्त्र धारण करें और सफेद चंदन का तिलक लगाएं।

    तुला राशि: मां शैलपुत्री की आराधना से चंद्र दोष का निवारण करें और दूध का दान करें।

    वृश्चिक राशि: साहू जी के अनुसारचंद्रमा की कृपा के लिए मां शैलपुत्री का आह्वान करें और सफेद मिठाई अर्पित करें।

    धनु राशि: मां शैलपुत्री की पूजा के साथ चंद्र दोष को शांत करने के उपाय करें।

    मकर राशि: चंद्रमा की शांति के लिए सफेद चंदन का तिलक लगाएं और सफेद वस्त्र पहनें।

    कुंभ राशि: मां शैलपुत्री की कृपा के लिए दूध और चावल का दान करें और सफेद वस्त्र धारण करें।

    मीन राशि: चंद्रमा के दोषों को शांत करने के लिए मां शैलपुत्री की पूजा के साथ सफेद फूलों का अर्पण करें।

      मां शैलपुत्री की आराधना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसका गहरा प्रभाव है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार उनकी पूजा से जीवन में मानसिक स्थिरता, शांति और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। कुंडली में चंद्र दोष के कारण उत्पन्न समस्याओं का निवारण करने के लिए मां शैलपुत्री की आराधना अत्यधिक प्रभावी होती है।

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      मैंने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से हस्तरेखा का विश्लेषण करवाया और उनके द्वारा बताए गए उपायों को अपनाया। उनकी भविष्यवाणियाँ और सुझाव मेरे जीवन में सटीक साबित हुए हैं। उनका ज्ञान बहुत ही प्रभावशाली और विस्तृत है।”

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