संतान सुख में बाधाएं - best astrologer in indore madhya pradesh

ज्योतिषीय दृष्टि से संतान सुख में बाधा

संतान का सुख,जिसे भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण जीवन उपलब्धि माना जाता है,कई दंपतियों के लिए जीवन का महत्वपूर्ण लक्ष्य होता है। परंतु,कई बार विभिन्न कारणों से संतान सुख प्राप्त करने में समस्याएं उत्पन्न होती हैं। ज्योतिष शास्त्र में, संतान सुख में बाधाओं के लिए ग्रहों की स्थिति, नक्षत्रों का प्रभाव,और कुंडली में विशेष दोषों का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी के अनुसार, संतान सुख में बाधाओं के पीछे निम्नलिखित ज्योतिषीय कारण होते हैं।

पंचम भाव की स्थिति

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में पंचम भाव को संतान भाव कहा जाता है। यदि इस भाव में अशुभ ग्रह स्थित हों या पंचम भाव पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो संतान सुख में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। विशेष रूप से, शनि,राहु, केतु, या मंगल का पंचम भाव में स्थित होना संतान सुख में समस्याओं का कारण बन सकता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, पंचम भाव की स्थिति का अध्ययन कर उचित उपाय किए जा सकते हैं।

गुरु का प्रभाव

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गुरु ग्रह (बृहस्पति) को संतान का कारक ग्रह माना जाता है। यदि गुरु ग्रह कमजोर हो या कुंडली में नीच का हो, तो संतान प्राप्ति में कठिनाइयां आ सकती हैं। गुरु की महादशा या अंतर्दशा में भी संतान सुख की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी के अनुसार, गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए गुरुवार के दिन विशेष पूजा और मंत्र जाप किए जा सकते हैं।

सप्तम और अष्टम भाव का प्रभाव

सप्तम भाव जीवन साथी और विवाह का भाव होता है, जबकि अष्टम भाव आकस्मिक घटनाओं और संकटों का प्रतिनिधित्व करता है। यदि सप्तम या अष्टम भाव में राहु, केतु, या शनि जैसे अशुभ ग्रह स्थित हों, तो यह संतान सुख में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। विवाह के बाद संतान सुख में देरी या समस्याओं के लिए इन भावों का विश्लेषण आवश्यक है।

पितृ दोष

पितृ दोष का अर्थ है पूर्वजों की आत्माओं की अशांति। यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष हो, तो उसे संतान प्राप्ति में समस्याएं आ सकती हैं। पितृ दोष के निवारण के लिए श्राद्ध कर्म और पितृ तर्पण करने से लाभ मिल सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी का मानना है कि पितृ दोष के निवारण के लिए अमावस्या के दिन विशेष पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है।

कालसर्प दोष

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कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें संतान सुख की प्राप्ति में बाधाएं भी शामिल हैं। हाल ही में हुए गणना के अनुसार, कालसर्प दोष के निवारण के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान करने की आवश्यकता होती है।

मंगल दोष

मंगल दोष या मंगलीक दोष भी संतान सुख में बाधा उत्पन्न कर सकता है। मंगल ग्रह का अशुभ प्रभाव वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न करता है, जिससे संतान प्राप्ति में कठिनाइयां हो सकती हैं। मंगल दोष के निवारण के लिए हनुमान जी की पूजा और मंगल मंत्र का जाप लाभकारी होता है।

ग्रहण दोष

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ग्रहण दोष तब बनता है जब सूर्य या चंद्रमा राहु या केतु के साथ संयोजन में होते हैं। इस दोष के कारण व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे संतान सुख प्राप्त करने में बाधाएं आ सकती हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी के अनुसार, ग्रहण दोष के निवारण के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान करने चाहिए।

अन्य ज्योतिषीय कारक

कुंडली में अन्य दोष जैसे कि ग्रह युद्ध, अशुभ योग, या ग्रहण योग भी संतान सुख में बाधाएं उत्पन्न कर सकते हैं। इन दोषों के कारण व्यक्ति को मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्याएं और वैवाहिक जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे संतान प्राप्ति में समस्याएं आती हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इन दोषों का निवारण करने के लिए मंत्र जाप, पूजा और अनुष्ठान करना आवश्यक है।

संतान सुख प्राप्ति के ज्योतिषीय उपाय

संतान सुख प्राप्त करने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपायों का पालन किया जा सकता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी के अनुसार ये उपाय ग्रहों की शांति और संतान प्राप्ति में सहायक होते हैं।

गुरु ग्रह की शांति

गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए गुरुवार के दिन व्रत रखें और गुरु मंत्र का जाप करें। पीली वस्त्र और खाद्य पदार्थों का दान करें और गुरुवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा करें।

पंचम भाव की शांति

पंचम भाव को शांत करने के लिए संतान गोपाल मंत्र का जाप करें और पंचम भाव के स्वामी ग्रह की पूजा करें। विशेष रूप से, यदि पंचम भाव में राहु, केतु, या शनि स्थित हों, तो इनके निवारण के लिए अनुष्ठान करें।

पितृ दोष का निवारण

पितृ दोष के निवारण के लिए पितरों की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करें। अमावस्या के दिन पितृ तर्पण करने से भी संतान सुख प्राप्ति की संभावना बढ़ती है।

कालसर्प दोष का निवारण

कालसर्प दोष के निवारण के लिए कालसर्प योग की पूजा करें और विशेष अनुष्ठान करें। यह दोष विशेष रूप से प्रभावी होता है जब संतान सुख में बार-बार समस्याएं उत्पन्न हो रही हों।

मंगल दोष का निवारण

मंगल दोष के निवारण के लिए हनुमान जी की पूजा करें और मंगल मंत्र का जाप करें। मंगल यंत्र का धारण और मंगलवार के दिन लाल रंग की वस्तुएं दान करना भी लाभकारी होता है।

निष्कर्ष

ज्योतिषीय दृष्टि से संतान सुख में बाधाएं उत्पन्न करने वाले कई कारण हो सकते हैं। पंचम भाव, गुरु ग्रह, सप्तम और अष्टम भाव, पितृ दोष, कालसर्प दोष, मंगल दोष, और ग्रहण दोष आदि प्रमुख कारण हैं। इन दोषों के निवारण के लिए ज्योतिषीय उपायों का सहारा लिया जा सकता है, जिससे संतान सुख प्राप्त किया जा सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ज्योतिषीय उपायों का सही और विधिपूर्वक पालन करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं और संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है।

मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, संतान सुख की प्राप्ति के लिए वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की स्थिति और नक्षत्रों का विश्लेषण कर उचित उपाय किए जाने चाहिए। हाल ही में हुए गणना के अनुसार, कई बार छोटी-छोटी ज्योतिषीय क्रियाएं भी बड़ी समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। इसलिए, संतान सुख में बाधाओं का सामना करने वाले दंपतियों को चाहिए कि वे किसी अनुभवी और प्रतिष्ठित ज्योतिषी से परामर्श लें और उनकी सलाह अनुसार उपाय करें।

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