भारतीय ज्योतिष में गंडमूल दोष का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह दोष तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति का जन्म विशेष नक्षत्रों में होता है। गंडमूल दोष के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, यह जानना आवश्यक है कि गंडमूल दोष किन कारणों से बनता है और इससे बचने के अचूक उपाय क्या हैं। इस लेख में हम इन्हीं पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे।
जानें इससे बचने के अचूक कारण – उपाय
गंडमूल दोष क्या है
गंडमूल दोष तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति का जन्म अश्विनी, मघा, रेवती, अश्लेषा, ज्येष्ठा या मूल नक्षत्र में होता है। ज्योतिषी दृष्टि से ये नक्षत्र कुल मिलाकर छह होते हैं और इन्हें गंडमूल नक्षत्र कहते हैं। गंडमूल दोष व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं ला सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक कठिनाइयाँ, और पारिवारिक कलह।
गंडमूल दोष के कारण

विशेष नक्षत्र में जन्म : गंडमूल दोष का सबसे मुख्य कारण यह है कि व्यक्ति का जन्म गंडमूल नक्षत्रों में होता है। ये नक्षत्र निम्नलिखित हैं:
- अश्विनी
- मघा
- रेवती
- अश्लेषा
- ज्येष्ठा
- मूल
नक्षत्र के प्रभाव: गंडमूल नक्षत्रों के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की बाधाएं उत्पन्न होती हैं। ये नक्षत्र व्यक्ति के ग्रहों की स्थिति और दशाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
ग्रहों की दशा: गंडमूल दोष की तीव्रता व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की दशाओं और उनकी स्थिति पर निर्भर करती है। यदि ग्रहों की दशा प्रतिकूल होती है, तो गंडमूल दोष का प्रभाव और भी अधिक हो सकता है।
गंडमूल दोष के दुष्प्रभाव

गंडमूल दोष के दुष्प्रभाव व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकते हैं। इनमें से कुछ दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- स्वास्थ्य समस्याएं: गंडमूल दोष से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- आर्थिक कठिनाइयाँ: इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वित्तीय स्थिरता में कमी आ सकती है।
- पारिवारिक कलह: गंडमूल दोष के कारण पारिवारिक कलह और संबंधों में तनाव उत्पन्न हो सकता है।
- कार्य में विफलता: व्यक्ति को अपने कार्यों में विफलता का सामना करना पड़ सकता है और करियर में बाधाएं आ सकती हैं।
गंडमूल दोष के अचूक उपाय
गंडमूल दोष के प्रभाव को कम करने और इससे बचने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय अपनाए जा सकते हैं। मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, ये उपाय व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता लाने और दोष के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में सहायक होते हैं।
गंडमूल शांति पूजा
गंडमूल दोष के निवारण के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय गंडमूल शांति पूजा है। यह पूजा विशेष रूप से उस नक्षत्र के प्रभाव को कम करने के लिए की जाती है जिसमें व्यक्ति का जन्म हुआ हो।
गंडमूल नक्षत्र में पूजा : गंडमूल शांति पूजा जन्म के 27वें, 54वें, और 108वें दिन की जाती है। यदि यह संभव नहीं हो, तो किसी शुभ मुहूर्त में यह पूजा कराई जा सकती है।
विशेष मंत्रों का जाप : पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है जो दोष को शांत करने में सहायक होते हैं।
रुद्राक्ष और रत्न धारण करें

रुद्राक्ष और रत्न धारण करने से गंडमूल दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
गणेश रुद्राक्ष : गणेश रुद्राक्ष धारण करें, यह भगवान गणेश की कृपा को प्राप्त करने और बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।
रत्न धारण : अपनी कुंडली के अनुसार रत्न धारण करें। जैसे कि पन्ना बुध ग्रह के लिए, मोती चंद्रमा के लिए, और नीलम शनि ग्रह के लिए।
दान और समाज सेवा

दान और समाज सेवा से भी गंडमूल दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
अन्न दान : गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न दान करें। इससे आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी।
वस्त्र दान : गरीबों को वस्त्र दान करें। यह शुभ फलदायी होता है और दोष के प्रभाव को कम करता है।
मंत्र जाप और हवन
मंत्र जाप और हवन से भी गंडमूल दोष का निवारण किया जा सकता है।
गणपति मंत्र जाप : ‘ॐ गण गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें। यह मंत्र बाधाओं को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
महामृत्युंजय मंत्र जाप : इस मंत्र का जाप भी स्वास्थ्य समस्याओं और अन्य दोषों को कम करने में सहायक होता है।
विशेष व्रत और उपवास
विशेष व्रत और उपवास से भी गंडमूल दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
एकादशी व्रत : एकादशी व्रत रखें और भगवान विष्णु की पूजा करें। इससे दोष का प्रभाव कम होता है।
शनिवार का व्रत : शनिवार का व्रत रखें और शनि देव की पूजा करें। इससे शनि के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है।
निष्कर्ष
गंडमूल दोष एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय दोष है जो व्यक्ति के जीवन पर विभिन्न प्रकार से प्रभाव डाल सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, गंडमूल दोष के निवारण के लिए विशेष उपाय और पूजा करना आवश्यक है। गंडमूल शांति पूजा, रुद्राक्ष और रत्न धारण, दान और समाज सेवा, मंत्र जाप और हवन, और विशेष व्रत और उपवास से इस दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इन उपायों को अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मकता और संतुलन ला सकता है और गंडमूल दोष के नकारात्मक प्रभावों से बच सकता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सही उपाय और दिशा-निर्देश से जीवन को बेहतर और सुखमय बनाया जा सकता है।