अपनी कुंडली के अनुसार सही रत्न कैसे चुनें  

रत्न और ज्योतिष का संबंध प्राचीन काल से ही बहुत महत्वपूर्ण रहा है। रत्नों का प्रयोग हमारे जीवन को संतुलित और समृद्ध बनाने के लिए किया जाता है।  मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के  अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनकी दशाएं हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालती हैं। सही रत्न का चयन करके हम ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि अपनी कुंडली के अनुसार सही रत्न कैसे चुनें।

कुंडली का महत्व और ग्रहों का प्रभाव

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जन्म कुंडली (जन्मपत्री) व्यक्ति के जन्म समय और स्थान के आधार पर बनाई जाती है, जिसमें बारह राशियों, नौ ग्रहों और बारह भावों का विवरण होता है। इन ग्रहों की स्थिति और उनकी परस्पर दृष्टियाँ व्यक्ति के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार कुंडली का विश्लेषण करने के बाद यह पता चलता है कि कौन सा ग्रह बलवान है और कौन सा कमजोर, और कौन सा ग्रह आपके जीवन में बाधाएं उत्पन्न कर रहा है।

रत्नों का ज्योतिषीय महत्व

प्रत्येक ग्रह का एक विशिष्ट रत्न होता है जो उस ग्रह की ऊर्जा को संतुलित और सक्रिय करता है। उदाहरण के लिए, सूर्य का रत्न माणिक्य (रूबी) है, जबकि चंद्रमा का रत्न मोती (पर्ल) है। जब हम सही रत्न पहनते हैं, तो यह हमारे शरीर और ऊर्जा क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।

सही रत्न चुनने की प्रक्रिया

कुंडली का विश्लेषण

सही रत्न का चयन करने के लिए सबसे पहले अपनी जन्म कुंडली का विश्लेषण करना जरूरी है। इसके लिए एक अनुभवी ज्योतिषी की मदद लेनी चाहिए जो आपकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति, दशाएं और दृष्टियों का अध्ययन कर सके। यह जानना महत्वपूर्ण है कि कौन से ग्रह आपके जीवन में नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं और कौन से ग्रह आपकी मदद कर सकते हैं।

ग्रहों का निर्धारण

कुंडली के विश्लेषण के बाद ज्योतिषी यह निर्धारित करेगा कि कौन से ग्रह आपके लिए महत्वपूर्ण हैं। यह देखा जाता है कि कौन से ग्रह नीच (कमजोर) हैं, कौन से ग्रह उच्च (बलवान) हैं, और कौन से ग्रह आपके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों (जैसे करियर, स्वास्थ्य, प्रेम) पर प्रभाव डाल रहे हैं।

रत्न का चयन

प्रत्येक ग्रह का एक विशेष रत्न होता है। निम्नलिखित सूची में प्रमुख ग्रहों और उनके संबंधित रत्नों का विवरण दिया गया है:

  • सूर्य : माणिक्य
  • चंद्रमा : मोती
  • मंगल : मूंगा
  • बुध: पन्ना
  • गुरु : पुखराज
  • शुक्र : हीरा
  • शनि : नीलम
  • राहु : गोमेद
  • केतु : लहसुनिया
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उपरत्न और रत्नों की शुद्धता

कभी-कभी प्रमुख रत्न महंगे होते हैं और सभी के लिए सुलभ नहीं होते। ऐसी स्थिति में उपरत्न का चयन किया जा सकता है, जो समान ऊर्जा प्रदान करते हैं लेकिन कम लागत पर उपलब्ध होते हैं। उदाहरण के लिए, पुखराज के स्थान पर सुनैला पहना जा सकता है। रत्नों की शुद्धता और गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण होती है। रत्न जितना शुद्ध और दोषरहित होगा, उसका प्रभाव उतना ही अधिक होगा। इसलिए, हमेशा प्रमाणित रत्नों का चयन करें और उन्हें विश्वसनीय स्रोत से खरीदें।

रत्न धारण करने की विधि

सही रत्न का चयन करने के बाद, उसे धारण करने की सही विधि भी महत्वपूर्ण होती है। ज्योतिषी आपको बताएंगे कि किस दिन और किस समय रत्न धारण करना सबसे उपयुक्त होगा। इसके साथ ही, रत्न को धारण करने से पहले उसे शुद्ध करना और उसे मंत्रों से अभिमंत्रित करना भी आवश्यक होता है।

रत्न धारण करने के बाद की सावधानियाँ

रत्न धारण करने के बाद कुछ सावधानियाँ भी बरतनी चाहिए। रत्न को नियमित रूप से साफ करें और उसे धारण करते समय किसी भी तरह की खरोंच या टूट-फूट से बचाएं। इसके अलावा, किसी अन्य व्यक्ति को अपना रत्न न पहनने दें, क्योंकि रत्न की ऊर्जा व्यक्तिगत होती है और इसे साझा नहीं करना चाहिए।

निष्कर्ष

सही रत्न का चयन और धारण करना एक गंभीर और सावधानीपूर्वक प्रक्रिया है। यह सुनिश्चित करता है कि ग्रहों की ऊर्जा आपके पक्ष में काम करे और आपके जीवन में संतुलन और समृद्धि लाए। हमेशा एक अनुभवी और विश्वसनीय ज्योतिषी की सलाह लें और रत्नों का चयन और धारण करते समय उनकी सलाह का पालन करें। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, रत्नों की शुद्धता और गुणवत्ता पर ध्यान दें और उन्हें सही तरीके से धारण करें। इस प्रकार, आप अपनी कुंडली के अनुसार सही रत्न चुनकर अपने जीवन को सकारात्मक और सफल बना सकते हैं।

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