वेद और पुराणों में हस्तरेखा विज्ञान का विस्तृत वर्णन मिलता है। यह एक प्राचीन और विश्वसनीय ज्योतिष शास्त्र है जिसका उद्गम वेदों से माना जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार हस्तरेखा विज्ञान व्यक्ति के भविष्य, स्वभाव, स्वास्थ्य और कर्मों का अनुमान लगाने में सक्षम है। वेदों में हस्तरेखा विज्ञान को “रेखाशास्त्र” के नाम से जाना जाता है। पुराणों में इसका वर्णन “अंगविद्या” के रूप में मिलता है। यह मानव शरीर के अंगों का अध्ययन करता है और व्यक्ति के जीवन पर इनके प्रभाव का अनुमान लगाता है। हस्तरेखा विज्ञान में हाथ की रेखाओं, उंगलियों के आकार और स्वरूप का गहन अध्ययन किया जाता है। वही एस्ट्रोलॉजर साहू जी की दृष्टि से ये रेखाएं व्यक्ति के व्यक्तित्व, स्वभाव, स्वास्थ्य, करियर और भविष्य का संकेत देती हैं।
हस्तरेखा विज्ञान – विस्तृत परिचय
एक प्रशिक्षित हस्तरेखाविद् इन रेखाओं का विश्लेषण करके व्यक्ति के जीवन का अनुमान लगा सकता है। पुराणों में हस्तरेखा विज्ञान को “अंगविद्या” के रूप में वर्णित किया गया है। यह मानव शरीर के विभिन्न अंगों जैसे हाथ, पैर, नाक, कान आदि का अध्ययन करता है और उनके माध्यम से व्यक्ति के स्वभाव, स्वास्थ्य और भविष्य का अनुमान लगाता है। यह शास्त्र व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक के जीवन का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है। वेदों में हस्तरेखा विज्ञान को “रेखाशास्त्र” के रूप में वर्णित किया गया है। यह शास्त्र व्यक्ति की हथेली की रेखाओं, उंगलियों के आकार और स्वरूप का गहन अध्ययन करता है। इन रेखाओं और आकृतियों का विश्लेषण करके हस्तरेखाविद् व्यक्ति के व्यक्तित्व, स्वभाव, स्वास्थ्य, करियर और भविष्य का अनुमान लगा सकते हैं। इस प्रकार वेद और पुराण हस्तरेखा विज्ञान को एक प्राचीन और विश्वसनीय ज्योतिष शास्त्र के रूप में वर्णित करते हैं। यह शास्त्र व्यक्ति के जीवन का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है और उसके भविष्य का अनुमान लगाने में सक्षम है। हस्तरेखा विज्ञान (Palmistry) एक प्राचीन ज्योतिषीय विद्या है जिसके माध्यम से व्यक्ति के हाथों की रेखाओं, पर्वतों, और अन्य विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। इस अध्ययन का उद्देश्य व्यक्ति के चरित्र, स्वास्थ्य, भाग्य, और भविष्य की संभावनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करना है।
हस्तरेखा विज्ञान का इतिहास
हस्तरेखा विज्ञान का उल्लेख वैदिक ग्रंथों में भी मिलता है। यह विज्ञान भारत में प्राचीन काल से ही प्रचलित था।
प्राचीन भारत में हस्तरेखा विज्ञान को एक महत्वपूर्ण विज्ञान माना जाता था। यह विज्ञान राजाओं, महाराजाओं और धार्मिक गुरुओं द्वारा भी उपयोग किया जाता था।
हस्तरेखा विज्ञान का उल्लेख चीन, मिस्र और यूनान जैसे देशों में भी मिलता है। इन देशों में भी इस विज्ञान का व्यापक उपयोग होता था।
मध्यकाल में भी हस्तरेखा विज्ञान का उपयोग जारी रहा। इस काल में कई प्रसिद्ध ज्योतिषी और हस्तरेखा विशेषज्ञ हुए।
आधुनिक काल में भी हस्तरेखा विज्ञान का महत्व बना हुआ है। आज भी लोग इस विज्ञान का उपयोग करके अपने भविष्य और व्यक्तित्व का अनुमान लगाते हैं।
इस प्रकार हस्तरेखा विज्ञान का इतिहास काफी पुराना है और यह एक महत्वपूर्ण विज्ञान माना जाता है। आज भी इस विज्ञान का व्यापक उपयोग होता है।
हस्तरेखा विज्ञान के मुख्य तत्व

हस्तरेखा विज्ञान के अध्ययन में हाथ की विभिन्न विशेषताओं को देखा जाता है, साहू जी के अनुसार जिनमें मुख्य रूप से रेखाएं, पर्वत (Mounts), और हाथ की बनावट शामिल हैं।
रेखाएं
हाथ की रेखाओं का अध्ययन हस्तरेखा विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये रेखाएं व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। मुख्य रेखाएं निम्नलिखित हैं:
जीवन रेखा
जीवन रेखा व्यक्ति के स्वास्थ्य, जीवन की लंबाई और महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जानकारी देती है।
- लंबी और गहरी रेखा: अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु का संकेत।
- टूटी हुई रेखा: स्वास्थ्य समस्याओं और जीवन में अचानक बदलावों का संकेत।
- लहरदार रेखा: निरंतर ऊर्जा की कमी का संकेत।
मस्तिष्क रेखा
मस्तिष्क रेखा व्यक्ति की मानसिकता, बुद्धिमत्ता, और सोचने की क्षमता को दर्शाती है।
- लंबी और साफ रेखा: स्पष्ट और तार्किक सोच।
- छोटी रेखा: व्यावहारिक सोच।
- गहरी और सीधी रेखा: अच्छी निर्णय क्षमता।
- लहरदार रेखा: अव्यवस्थित सोच।
हृदय रेखा
हृदय रेखा व्यक्ति के भावनात्मक जीवन, प्रेम संबंधों और दिल की स्थिति को दर्शाती है।
- लंबी और गहरी रेखा: मजबूत भावनात्मक संबंध।
- छोटी रेखा: स्वतंत्र और स्वतंत्र भावनाएं।
- टूटी हुई रेखा: दिल के मामलों में कठिनाइयाँ।
- सीधी और स्पष्ट रेखा: ईमानदार और सच्चे प्रेम संबंध।
भाग्य रेखा
भाग्य रेखा व्यक्ति के भाग्य, करियर, और जीवन में आने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाती है।
- गहरी और स्पष्ट रेखा: स्थिर और सफल करियर।
- टूटी हुई रेखा: जीवन में उतार-चढ़ाव।
- रेखा की अनुपस्थिति: भाग्य के बजाय कर्म पर निर्भरता।
पर्वत
हाथ के पर्वत (Mounts) हाथ की उभार वाली जगहें होती हैं, जो विभिन्न ग्रहों से संबंधित होती हैं। ये पर्वत व्यक्ति के स्वभाव और विशेषताओं को दर्शाते हैं।
माउंट ऑफ ज्यूपिटर
- सामान्य उभार: नेतृत्व और महत्वाकांक्षा।
- अधिक उभार: अति महत्वाकांक्षी और कभी-कभी घमंडी।
- कम उभार: आत्मविश्वास की कमी।
माउंट ऑफ सैटर्न
- सामान्य उभार: जिम्मेदार और आत्मनिरीक्षण।
- अधिक उभार: निराशावाद और अकेलापन।
- कम उभार: गैर-जिम्मेदाराना।
माउंट ऑफ अपोलो (सूर्य)
- सामान्य उभार: रचनात्मकता और सफलता।
- अधिक उभार: अत्यधिक गर्व और अहंकार।
- कम उभार: आत्म-प्रकाश की कमी।
माउंट ऑफ मर्क्युरी
- सामान्य उभार: बुद्धिमत्ता और संचार कौशल।
- अधिक उभार: चालाकी और धूर्तता।
- कम उभार: संचार में कठिनाइयाँ।
माउंट ऑफ मून (चंद्र)
- सामान्य उभार: कल्पनाशीलता और भावनात्मक गहराई।
- अधिक उभार: कल्पनाओं में खो जाना।
- कम उभार: भावनात्मक ठहराव।
माउंट ऑफ वीनस
- सामान्य उभार: प्रेम और सौंदर्य।
- अधिक उभार: भोग-विलास की प्रवृत्ति।
- कम उभार: स्नेह की कमी।
माउंट ऑफ मार्स
- सामान्य उभार: साहस और संघर्ष क्षमता।
- अधिक उभार: आक्रामकता और झगड़ालू स्वभाव।
- कम उभार: साहस की कमी।
हाथ की बनावट
हाथ की बनावट से व्यक्ति के स्वभाव, कौशल, और व्यक्तित्व के बारे में जानकारी मिलती है।
हाथ का आकार
हाथ का आकार व्यक्ति के स्वभाव और व्यक्तित्व को दर्शाता है। सामान्यत: चार प्रकार के हाथ होते हैं:
- पृथ्वी हाथ: चौड़े और मोटे हाथ, स्थिर और व्यावहारिक स्वभाव।
- वायु हाथ: लंबे और पतले हाथ, बुद्धिमान और विचारशील स्वभाव।
- अग्नि हाथ: छोटे और चौड़े हाथ, ऊर्जावान और साहसी स्वभाव।
- जल हाथ: नरम और लचीले हाथ, संवेदनशील और रचनात्मक स्वभाव।
उंगलियों का आकार और लंबाई
उंगलियों का आकार और लंबाई व्यक्ति के स्वभाव और कौशल को दर्शाती है।
- लंबी उंगलियां: ध्यान और विवरण के प्रति सजगता।
- छोटी उंगलियां: व्यावहारिकता और त्वरित निर्णय।
- पतली उंगलियां: संवेदनशीलता और रचनात्मकता।
- मोटी उंगलियां: स्थिरता और व्यावहारिकता।
हस्तरेखा विज्ञान की विधियाँ
इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी साहू जी के अनुसार हस्तरेखा विज्ञान का अध्ययन करने के लिए कई विधियाँ हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं:
- हाथ की मुख्य रेखाओं का अध्ययन:
- मुख्य रेखाओं (जीवन, मस्तिष्क, हृदय, और भाग्य रेखा) का अध्ययन करके व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझा जाता है।
- पर्वतों का अध्ययन:
- हाथ के विभिन्न पर्वतों का अध्ययन करके व्यक्ति की विशेषताओं और संभावनाओं का आकलन किया जाता है।
- हाथ की आकृति और बनावट का अध्ययन:
- हाथ की आकृति, उंगलियों की लंबाई, और अन्य बनावटों का अध्ययन करके व्यक्ति के स्वभाव और व्यवहार के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।
- रेखाओं के बीच के संबंध:
- विभिन्न रेखाओं के बीच के संबंधों को देखकर जीवन में आने वाली घटनाओं और उनकी संभावनाओं का पूर्वानुमान लगाया जाता है।
हस्तरेखा विज्ञान से भविष्य जानने के तरीके

हस्तरेखा विज्ञान का प्रयोग करके व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में निम्नलिखित तरीकों से जानकारी प्राप्त कर सकता है:
- स्वास्थ्य और जीवन की दीर्घायु:
- जीवन रेखा की लंबाई, गहराई, और बनावट से व्यक्ति के स्वास्थ्य और जीवन की दीर्घायु का आकलन किया जा सकता है।
- व्यवसाय और करियर:
- भाग्य रेखा और मस्तिष्क रेखा का अध्ययन करके व्यक्ति के करियर और व्यवसाय में आने वाली संभावनाओं के बारे में जाना जा सकता है।
- प्रेम और रिश्ते:
- हृदय रेखा का अध्ययन करके व्यक्ति के प्रेम जीवन और रिश्तों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- बुद्धिमत्ता और शिक्षा:
- मस्तिष्क रेखा और माउंट ऑफ मर्क्युरी का अध्ययन करके व्यक्ति की बुद्धिमत्ता और शिक्षा के स्तर का आकलन किया जा सकता है।
- सफलता और प्रतिष्ठा:
- माउंट ऑफ अपोलो और भाग्य रेखा का अध्ययन करके व्यक्ति की सफलता और सामाजिक प्रतिष्ठा के बारे में जाना जा सकता है।
निष्कर्ष
हस्तरेखा विज्ञान एक प्राचीन और समृद्ध विद्या है जो व्यक्ति के हाथों की रेखाओं, पर्वतों, और आकृतियों का अध्ययन करके उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी प्रदान करती है। हालांकि इसे पूरी तरह से वैज्ञानिक आधार पर स्वीकार नहीं किया जाता है, फिर भी यह आत्म-जागरूकता और आत्म-विकास में सहायक हो सकती है।
इस विद्या का प्रयोग करने के लिए धैर्य और गहन अध्ययन की आवश्यकता होती है। व्यक्ति अपने हाथों की रेखाओं और पर्वतों का अध्ययन करके अपने जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त कर सकता है और अपनी व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठा सकता है।