रेस्टोरेंट का वास्तु दोष और ग्राहक आकर्षण ज्योतिषीय दृष्टिकोण

वास्तु शास्त्र और ज्योतिष का संयोजन हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है, इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार चाहे वह घर हो, कार्यस्थल हो या व्यापार। रेस्टोरेंट व्यवसाय में भी, सही वास्तु शास्त्र और ज्योतिषीय सिद्धांतों का पालन करने से न केवल व्यापार में सफलता मिलती है, बल्कि ग्राहकों का आकर्षण भी बढ़ता है। रेस्टोरेंट में वास्तु दोष नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है, जिससे व्यापार में रुकावटें आ सकती हैं, जबकि सही उपाय ग्राहकों की संख्या में वृद्धि कर सकते हैं।

इस लेख में, हम रेस्टोरेंट में  वास्तु दोष और ग्राहक आकर्षण के ज्योतिषीय पहलुओं का विस्तार से अध्ययन करेंगे और यह जानेंगे कि कैसे वास्तु और ज्योतिष के सिद्धांतों को अपनाकर व्यापार को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सकता है।

 रेस्टोरेंट का स्थान और दिशा

रेस्टोरेंट का सही स्थान और दिशा तय करना व्यापार की सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। वास्तु शास्त्र और भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार ,रेस्टोरेंट का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। उत्तर दिशा को कुबेर (धन के देवता) और पूर्व दिशा को सूर्य की ऊर्जा से जोड़ा जाता है। ये दिशाएँ व्यापार को बढ़ावा देती हैं और ग्राहकों को आकर्षित करती हैं।

ज्योतिषीय उपाय:

  • राहु और केतु की दशा या महादशा में अगर व्यवसाय में रुकावटें आ रही हैं, तो उत्तर दिशा में एक दर्पण लगाएं ताकि ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।
  • चंद्रमा कमजोर हो तो पूर्व दिशा में शंख या चंद्र देव की प्रतिमा रखकर रेस्टोरेंट में शांति और सौम्यता का वातावरण बनाया जा सकता है।

 मुख्य प्रवेश द्वार

रेस्टोरेंट का मुख्य प्रवेश द्वार वास्तु और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। साहू जी के अनुसार अगर प्रवेश द्वार सही दिशा में नहीं है, तो यह नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकता है। मुख्य द्वार को साफ-सुथरा और अवरोध मुक्त रखना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।

ज्योतिषीय उपाय:

  • मंगल दोष से प्रभावित लोगों को दक्षिण दिशा का प्रवेश द्वार नहीं रखना चाहिए। अगर ऐसा है, तो दरवाजे के दोनों तरफ लाल रंग के गणेश जी की प्रतिमा रखें।
  • शनि दोष से ग्रस्त रेस्टोरेंट मालिकों को पश्चिम दिशा में काले घोड़े की नाल या हनुमानजी का चित्र लगाना चाहिए।

 रसोई (किचन) की स्थिति

रेस्टोरेंट की रसोई का सही दिशा में होना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि रसोई का स्थान सीधे व्यापार की प्रगति और भोजन की गुणवत्ता पर असर डालता है। रसोई दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए, जिसे अग्नि तत्व की दिशा माना जाता है।

ज्योतिषीय उपाय:

  • अगर रसोई गलत दिशा में है, तो मंगल या सूर्य की कमजोर स्थिति हो सकती है। ऐसे में रसोई में तांबे के बर्तन रखना शुभ होता है।
  • शुक्र की दशा से प्रभावित रेस्टोरेंट मालिकों को रसोई में सफेद या चांदी के रंग का उपयोग करना चाहिए ताकि व्यापार में वृद्धि हो सके।

 बैठने की व्यवस्था

रेस्टोरेंट के अंदर ग्राहकों की बैठने की व्यवस्था सही दिशा में होनी चाहिए। साहू जी के अनुसार उत्तर और पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठने से ग्राहकों को सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है और वे अधिक समय तक रेस्टोरेंट में ठहरते हैं।

ज्योतिषीय उपाय:

  • बृहस्पति की अशुभ स्थिति होने पर पीले रंग के कुशन या पर्दों का इस्तेमाल करें ताकि सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।
  • शुक्र और चंद्रमा की कमजोर स्थिति में हरे और सफेद रंगों का संयोजन उपयोग करें ताकि वातावरण शांत और आकर्षक बने।

 कैश काउंटर की स्थिति

रेस्टोरेंट में कैश काउंटर की स्थिति भी व्यापार पर गहरा प्रभाव डालती है। वास्तु और ज्योतिषीय के अनुसार, कैश काउंटर उत्तर दिशा या पूर्व दिशा में होना चाहिए। इससे धन की वृद्धि होती है और व्यापारिक हानि की संभावना कम होती है।

ज्योतिषीय उपाय:

  • राहु दोष से बचने के लिए कैश काउंटर के पास एक चांदी का सिक्का या पीतल का बर्तन रखें।
  • शनि की दशा में कैश काउंटर के पास नीले रंग का कपड़ा रखें और काले तिल का प्रयोग करें।

 सजावट और रंगों का चयन

रेस्टोरेंट की सजावट और रंगों का सीधा असर ग्राहकों के मूड और अनुभव पर पड़ता है।  वास्तु शास्त्र  और ज्योतिषीय के अनुसार, हल्के और शांत रंग जैसे हरा, सफेद, नीला, और पीला रंग रेस्टोरेंट के वातावरण को सकारात्मक बनाते हैं।

ज्योतिषीय उपाय:

  • अगर मंगल ग्रह की स्थिति कमजोर है, तो रेस्टोरेंट में लाल रंग के तत्वों का प्रयोग करना चाहिए।
  • शुक्र और बृहस्पति की ऊर्जा को बढ़ाने के लिए हरे पौधे और सुनहरे रंग का प्रयोग किया जा सकता है।

 जल का स्रोत और वेंटिलेशन

 

वास्तु शास्त्र में जल को समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार  रेस्टोरेंट में जल का स्रोत, जैसे फव्वारा या एक्वेरियम, उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। इसके अलावा, रेस्टोरेंट में सही वेंटिलेशन होना भी जरूरी है।

ज्योतिषीय उपाय:

  • अगर चंद्रमा की दशा कमजोर हो, तो जल स्रोत के पास सफेद या नीले रंग का प्रयोग करें।
  • बृहस्पति की दशा में जल के स्रोत के पास पीले फूलों का प्रयोग करें ताकि व्यापार में वृद्धि हो सके।

वॉशरूम की दिशा

वॉशरूम की दिशा भी रेस्टोरेंट के वास्तु और व्यापार पर गहरा असर डालती है। वॉशरूम दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। यह नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करता है और व्यापारिक वातावरण को प्रभावित नहीं करता।

ज्योतिषीय उपाय:

  • अगर राहु की दशा खराब हो, तो वॉशरूम के पास काले तिल रखें।
  • शनि दोष से बचने के लिए वॉशरूम के दरवाजे पर नीला रंग का पर्दा लगाएं।

 ग्राहकों का अनुभव और वास्तु दोष

ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए वास्तु और ज्योतिषीय नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर रेस्टोरेंट में नकारात्मक ऊर्जा है या वास्तु दोष हैं, तो ग्राहकों का अनुभव खराब हो सकता है और वे दुबारा आने में संकोच करेंगे।

ज्योतिषीय उपाय:

  • चंद्र और शुक्र की शुभ स्थिति के लिए रेस्टोरेंट में सुगंधित मोमबत्तियों और खुशबू का प्रयोग करें।

  • बृहस्पति की ऊर्जा को बढ़ाने के लिए रेस्टोरेंट के मुख्य द्वार पर पीले फूलों का प्रयोग करें।

 रेस्टोरेंट के बाहरी वातावरण

रेस्टोरेंट का बाहरी वातावरण भी ग्राहकों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वास्तु के अनुसार, रेस्टोरेंट के बाहर का क्षेत्र साफ-सुथरा और खुला होना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और ग्राहक आकर्षित होते हैं।

ज्योतिषीय उपाय:

  • मंगल दोष से बचने के लिए रेस्टोरेंट के बाहर लाल रंग के फूल या पौधे लगाएं।

  • शनि की दशा में रेस्टोरेंट के बाहर काले घोड़े की नाल लगाएं ताकि नकारात्मक ऊर्जा दूर हो।

रेस्टोरेंट के वास्तु दोष और ग्राहक आकर्षण का ज्योतिषीय दृष्टिकोण से गहरा संबंध है। सही दिशा, रंग, सजावट, और स्थान का चयन करके रेस्टोरेंट के वातावरण को सकारात्मक बनाया जा सकता है, जिससे व्यापार में वृद्धि और ग्राहक संतुष्टि बढ़ती है। दूसरी ओर,साहू जी के अनुसार अगर वास्तु दोष होते हैं, तो व्यापार में रुकावटें और हानि का सामना करना पड़ सकता है।

इसलिए, रेस्टोरेंट के मालिकों को वास्तु और ज्योतिषीय के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए ताकि वे अपने व्यवसाय में सफलता प्राप्त कर सकें और ग्राहकों को एक शानदार अनुभव प्रदान कर सकें।

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