शांति पूजा की विधियाँ शांति पूजा वेदों और पुराणों के अनुसार एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान है। यह पूजा का एक प्रकार है जिसका उद्देश्य शांति, सौहार्द और सकारात्मकता का प्रसार करना है। वेदों में शांति पूजा का उल्लेख “शांति पाठ” के रूप में मिलता है। यह पाठ शांति और कल्याण की कामना करता है। पुराणों में भी शांति पूजा का वर्णन है जहां इसे “शांति यज्ञ” के रूप में संदर्भित किया गया है। शांति पूजा में मुख्य रूप से गणेश पूजन, शांति मंत्रों का जाप, धूप-दीप प्रज्ज्वलन और प्रसाद वितरण शामिल होते हैं। गणेश जी की पूजा से पूजा का आरंभ किया जाता है क्योंकि वे विघ्नों को दूर करने और सफलता प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं। शांति मंत्रों का जाप पूजा का महत्वपूर्ण अंग है। ये मंत्र शांति, कल्याण और समृद्धि की कामना करते हैं। धूप-दीप प्रज्ज्वलन से पूजा स्थल को सुशोभित किया जाता है और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर किया जाता है। पूजा के अंत में प्रसाद का वितरण किया जाता है। प्रसाद का सेवन करने से शांति और आनंद का अनुभव होता है। प्रसाद में मुख्य रूप से फल, मिठाई और नैवेद्य शामिल होते हैं। शांति पूजा का उद्देश्य गृह, मंदिर या किसी भी स्थल के माहौल को शुद्ध, पवित्र और शांतिमय बनाना होता है। यह पूजा व्यक्ति, गृह और समुदाय के लिए शांति, सौहार्द और समृद्धि प्रदान करती है। वेदों और पुराणों के अनुसार, शांति पूजा का अनुष्ठान करने से मनुष्य को आध्यात्मिक शांति और प्रेरणा प्राप्त होती है। यह उसके जीवन में सकारात्मकता और खुशहाली लाता है। इस प्रकार, शांति पूजा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान है जो शांति और कल्याण की कामना करता है। शांति पूजा की कई विधियाँ होती हैं, जिन्हें विभिन्न धर्मों और परंपराओं में अलग-अलग तरीकों से किया जाता है।
कुछ प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं:

गृह प्रवेश पूजा (गृह प्रवेश)
- नए घर में प्रवेश करने से पहले की जाने वाली पूजा।
- भगवान गणेश, लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है।
- हवन और मंत्रोच्चार किया जाता है।
नवग्रह शांति पूजा
- नवग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, और केतु) की पूजा।
- ग्रहों की अशुभता को दूर करने और शुभता को बढ़ाने के लिए की जाती है।
- विशेष मंत्रों और हवन के माध्यम से नवग्रहों की आराधना।
वास्तु शांति पूजा
- घर की वास्तु दोषों को दूर करने के लिए की जाने वाली पूजा।
- भगवान वास्तु पुरुष और अन्य देवताओं की पूजा।
- हवन और मंत्रोच्चार के माध्यम से वास्तु दोषों का निवारण।
सत्यनारायण पूजा
- भगवान विष्णु के सत्यनारायण स्वरूप की पूजा।
- पारिवारिक शांति और समृद्धि के लिए की जाती है।
- कथा वाचन और प्रसाद वितरण।
मंगल ग्रह शांति पूजा
- मंगल ग्रह की अशुभता को दूर करने के लिए की जाने वाली पूजा।
- विशेष मंगल मंत्रों का जाप और हवन।
गणपति पूजा
- किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में भगवान गणेश की पूजा।
- विघ्नहर्ता गणेश से विघ्नों और बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना।
शांति पूजा के लिए कुछ विशिष्ट समय उपयुक्त माने जाते हैं:

प्रातः काल
- प्रातः काल (सुबह 6 बजे से 8 बजे तक) शांति पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है।
- इस समय में शांति और सकारात्मकता का प्रसार होता है।
सायंकाल
- सायंकाल (शाम 6 बजे से 8 बजे तक) भी शांति पूजा के लिए उपयुक्त समय है।
- इस समय में शांति और प्रशांति का माहौल होता है।
पूर्णिमा और अमावस्या
- पूर्णिमा और अमावस्या के दिन शांति पूजा करना विशेष महत्व रखता है।
- इन दिनों में शांति और सकारात्मकता का प्रसार अधिक होता है।
नवरात्रि और दीपावली
- नवरात्रि और दीपावली जैसे पर्वों पर शांति पूजा का विशेष महत्व होता है।
- इन दिनों में शांति और सकारात्मकता का प्रसार अधिक होता है।
कोई भी शुभ मुहूर्त
- किसी भी शुभ मुहूर्त में शांति पूजा की जा सकती है।
- शुभ मुहूर्त में की गई पूजा का विशेष महत्व होता है।
- इन समयों में की गई शांति पूजा गृह के माहौल को शुद्ध, पवित्र और शांतिमय बनाने में मदद करती है। हालांकि, किसी भी समय शांति पूजा की जा सकती है जब भी आवश्यकता महसूस हो।
शांति पूजा का महत्व और लाभ

शांति पूजा का घर के वातावरण और परिवार के सदस्यों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार:
- शांति पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे परिवार के सदस्यों के मनोबल और मानसिक शांति में वृद्धि होती है।
- बाधाओं का निवारण:
- शांति पूजा के माध्यम से विभिन्न प्रकार की बाधाओं और समस्याओं का निवारण होता है, जिससे जीवन में सुख और शांति प्राप्त होती है।
- वास्तु दोषों का निवारण:
- शांति पूजा से घर के वास्तु दोषों को दूर किया जा सकता है, जिससे घर में समृद्धि और शांति बनी रहती है।
- स्वास्थ्य में सुधार:
- शांति पूजा से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, जिससे बीमारियों और तनाव का निवारण होता है।
- धन और समृद्धि:
- शांति पूजा से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है, जिससे परिवार के आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- सुखद पारिवारिक जीवन:
- शांति पूजा से पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं और परिवार में प्रेम और सौहार्द्र बना रहता है।
शांति पूजा न कराने से हानि
शांति पूजा न कराने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है, जिससे विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कुछ प्रमुख हानियां निम्नलिखित हैं:
- नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव:
- घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है, जिससे तनाव, चिंता और मनोबल में कमी हो सकती है।
- बाधाओं और समस्याओं का बढ़ना:
- शांति पूजा न कराने से जीवन में बाधाओं और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिससे पारिवारिक सुख-शांति में कमी हो सकती है।
- वास्तु दोषों का बढ़ना:
- शांति पूजा न कराने से घर के वास्तु दोष बढ़ सकते हैं, जिससे परिवार के सदस्यों के जीवन में अशांति और असुविधा हो सकती है।
- स्वास्थ्य में गिरावट:
- शांति पूजा न कराने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है, जिससे बीमारियों और तनाव का सामना करना पड़ सकता है।
- धन और समृद्धि की कमी:
- शांति पूजा न कराने से धन और समृद्धि में कमी आ सकती है, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है।
निष्कर्ष
घर में शांति पूजा का आयोजन करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक क्रिया है, जिससे परिवार के सदस्यों के जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार शांति पूजा के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा का निवारण होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। विभिन्न प्रकार की शांति पूजाओं को सही तरीके से करने से घर के वातावरण में सकारात्मकता और शांति बनी रहती है, जिससे परिवार का प्रत्येक सदस्य सुखी और स्वस्थ रहता है।
इसलिए, शांति पूजा का आयोजन नियमित रूप से करना चाहिए और जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों पर विशेष रूप से इस पूजा का आयोजन करना चाहिए। इससे जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है और परिवार में शांति और समृद्धि बनी रहती है।