पितृ पर्वत हनुमान मंदिर ज्योतिषी दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थल है, जहां हजारों लोग अपने ग्रह दोषों के समाधान के लिए आते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार पितृ दोष, मंगल दोष, राहु–केतु दोष, और शनि दोष जैसी समस्याओं का निवारण यहां किए जाने वाले विशेष अनुष्ठानों के माध्यम से किया जाता है। यहां के अनुष्ठानों और धार्मिक क्रियाओं का मुख्य उद्देश्य जीवन के विभिन्न पहलुओं पर ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करना और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देना है। इस ब्लॉग में हम पितृ पर्वत के विशेष ज्योतिषी अनुष्ठानों और उनके जीवन पर प्रभावों को गहराई से समझेंगे, साथ ही इसे पिछले ब्लॉग से अलग नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करेंगे।
पितृ पर्वत का महत्व ज्योतिषीय दृष्टिकोण से
पितृ पर्वत सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि यह स्थान एक शक्तिशाली ज्योतिषी केंद्र भी है। यहां की गई पूजा और अनुष्ठान का मुख्य उद्देश्य पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करना और कुंडली में उपस्थित दोषों को शांत करना है। साहू जी के अनुसार पितृ पर्वत पर विशेष रूप से किए जाने वाले अनुष्ठानों में हनुमान जी की पूजा, तर्पण, और ग्रहों के निवारण के लिए विशेष कर्मकांड शामिल होते हैं। यह स्थान न केवल पितृ दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के अनुष्ठानों से पारिवारिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान भी होता है।
पितृ दोष और उनका समाधान
कुंडली में पितृ दोष का होना पारिवारिक अशांति, आर्थिक तंगी, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। पितृ पर्वत पर विशेष तर्पण और पितरों को प्रसन्न करने के लिए किए गए अनुष्ठानों से इन दोषों का निवारण होता है। साहू जी के अनुसार पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति के पूर्वजों की आत्मा को शांति नहीं मिलती है। यह दोष कुंडली में सूर्य या राहु की कमजोर स्थिति के कारण उत्पन्न होता है। पितृ पर्वत पर हनुमान जी की आराधना और पितरों का तर्पण करने से व्यक्ति को इन दोषों से मुक्ति मिलती है और उसे अपने जीवन में सफलता और शांति प्राप्त होती है।
मंगल दोष और उसका निवारण
मंगल दोष का निवारण पितृ पर्वत पर विशेष रूप से किया जाता है। कुंडली में मंगल की खराब स्थिति व्यक्ति के जीवन में विवाह में देरी, पारिवारिक कलह, और स्वास्थ्य समस्याएं ला सकती है। पितृ पर्वत पर हनुमान जी की पूजा और मंगल दोष निवारण अनुष्ठान से मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को समाप्त किया जाता है। हनुमान जी को मंगल का कारक देवता माना जाता है और उनकी पूजा मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभावों से बचाती है। इस दृष्टिकोण से हनुमान चालीसा और मंगलवार के दिन यहां की गई पूजा विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है।
राहु-केतु दोष निवारण

पितृ पर्वत पर राहु और केतु के दोषों का निवारण भी किया जाता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार कुंडली में राहु और केतु की गलत स्थिति व्यक्ति के जीवन में मानसिक तनाव, दुर्घटनाएं, और आर्थिक हानि का कारण बनती है। राहु और केतु शांति अनुष्ठान से इन दोषों का प्रभाव कम किया जा सकता है। इस अनुष्ठान में विशेष मंत्रों का जाप और ग्रहों के लिए विशेष पूजा विधि का पालन किया जाता है। राहु-केतु दोष के कारण उत्पन्न बाधाओं से मुक्त होने के लिए यह पूजा अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।
शनि दोष और शनि शांति अनुष्ठान
शनि की साढ़ेसाती और ढैया व्यक्ति के जीवन में गंभीर कठिनाइयों का कारण बन सकती है। पितृ पर्वत पर शनि शांति अनुष्ठान विशेष रूप से किया जाता है, जिससे शनि के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति पाई जा सकती है। साहू जी के अनुसार शनि को तेल और तिल अर्पित करके तथा शनि मंत्रों का जाप करके यहां की गई पूजा से व्यक्ति को शनि के अशुभ प्रभावों से राहत मिलती है। यह अनुष्ठान खासकर उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जिनकी कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर होती है।

ग्रह दोषों का जीवन पर प्रभाव
कुंडली में ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के जीवन को गहराई से प्रभावित करती है। ग्रह दोष जीवन में अनेक कठिनाइयों का कारण बन सकते हैं, लेकिन पितृ पर्वत पर किए जाने वाले अनुष्ठानों से इन कठिनाइयों से मुक्ति पाई जा सकती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहां किए जाने वाले अनुष्ठानों का जीवन के हर पहलू पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, चाहे वह स्वास्थ्य हो, आर्थिक स्थिति हो, या पारिवारिक शांति। ग्रह शांति अनुष्ठानों से ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव समाप्त होते हैं और व्यक्ति को अपने जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
हनुमान जी की पूजा और ग्रह दोष निवारण

पितृ पर्वत हनुमान जी का प्रमुख मंदिर होने के कारण यहां हनुमान जी की पूजा विशेष महत्व रखती है। हनुमान जी की पूजा न केवल मंगल दोष, बल्कि शनि और राहु–केतु के दोषों का भी निवारण करती है। साहू जी के अनुसार हनुमान चालीसा का पाठ और हनुमान जी के विशेष मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है और वह जीवन में शांति और सफलता की ओर अग्रसर होता है।
नया दृष्टिकोण: ज्योतिषीय अनुष्ठानों की प्राचीन परंपरा और आधुनिक जीवन में उनकी भूमिका
आज के समय में जब जीवन अत्यधिक व्यस्त और तनावपूर्ण हो गया है, पितृ पर्वत के ज्योतिषीअनुष्ठान और उनकी प्राचीन परंपराएं हमें आध्यात्मिक शांति और समाधान प्रदान करती हैं। इन अनुष्ठानों का उद्देश्य न केवल ग्रहों के दोषों का निवारण करना है, बल्कि यह व्यक्ति को उसकी आंतरिक शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा से जोड़ने का भी काम करते हैं। इस दृष्टिकोण से, पितृ पर्वत न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और ज्योतिषी उपचार केंद्र भी है, जहां व्यक्ति अपने जीवन की समस्याओं का समाधान पा सकता है।
पितृ पर्वत में विशेष ज्योतिषी अनुष्ठान जीवन के विभिन्न पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। चाहे वह पितृ दोष हो, मंगल दोष हो, राहु–केतु दोष हो या शनि दोष हो, पितृ पर्वत पर किए जाने वाले अनुष्ठानों से इन सभी दोषों का निवारण संभव है। साहू जी के अनुसार यहां की गई पूजा और अनुष्ठान व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और संतुलन लाने में सहायक होते हैं। पितृ पर्वत पर हनुमान जी की आराधना और ग्रह दोष निवारण अनुष्ठान व्यक्ति के जीवन को नई दिशा प्रदान कर सकते हैं।
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TESTIMONIALS
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आदित्य सक्सेना, भोपाल: (Google Review)
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