कुंडली मिलान भारतीय समाज में विवाह से पहले एक महत्वपूर्ण परंपरा मानी जाती है। यह परंपरा विशेष रूप से हिंदू धर्म में प्रचलित है, जहाँ विवाह से पहले वर और वधू की कुंडलियों का मिलान किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनका जीवन सुखमय और समस्या रहित रहेगा। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार कुंडली मिलान के बिना विवाह करने के परिणामस्वरूप कई तरह की चिंताएँ और प्रश्न उठते हैं, जो ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होते हैं।
कुंडली मिलान का महत्व
कुंडली मिलान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि वर और वधू की राशियाँ, ग्रह, और नक्षत्र एक-दूसरे के साथ संगत हों। यह प्रक्रिया विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देती है जैसे कि गुण मिलान, मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, और अन्य ग्रहों की स्थिति। इन सभी कारकों को ध्यान में रखकर ही यह निर्णय लिया जाता है कि यह विवाह ज्योतिषीय दृष्टि से सफल होगा या नहीं।
कुंडली मिलान के बिना विवाह

जब कोई व्यक्ति कुंडली मिलान के बिना विवाह करने का निर्णय लेता है, तो यह एक महत्वपूर्ण जोखिम हो सकता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार, कुंडली मिलान के बिना विवाह करने के निम्नलिखित संभावित परिणाम हो सकते हैं:
- ग्रहों का असंगत प्रभाव: कुंडली में ग्रहों की स्थिति विवाह के बाद जीवन में कई तरह के प्रभाव डाल सकती है। यदि ग्रहों की स्थिति असंगत होती है, तो यह दांपत्य जीवन में समस्याएं उत्पन्न कर सकता है, जैसे कि वैचारिक मतभेद, मानसिक तनाव, और पारिवारिक कलह।
- मांगलिक दोष का प्रभाव: मांगलिक दोष का मिलान विवाह के समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। यदि किसी एक पक्ष की कुंडली में मांगलिक दोष है और दूसरे पक्ष की कुंडली में नहीं, तो यह वैवाहिक जीवन में गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक समस्याएं, या यहां तक कि वैवाहिक जीवन का असमय अंत।
- नाड़ी दोष और स्वास्थ्य समस्याएं: नाड़ी दोष का मिलान यह सुनिश्चित करता है कि विवाह के बाद जो संतान होगी, वह स्वस्थ और समृद्ध होगी। नाड़ी दोष के बिना विवाह करने से संतान संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिनमें स्वास्थ्य समस्याएं प्रमुख होती हैं।
- वैचारिक असंगति: कुंडली मिलान से यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि दोनों पक्षों की मानसिक और वैचारिक स्थिति एक-दूसरे के अनुकूल हो। यदि यह अनुकूलता नहीं होती, तो वैवाहिक जीवन में वैचारिक असंगति और संवादहीनता उत्पन्न हो सकती है।
- आर्थिक और सामाजिक समस्याएं: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली मिलान से यह भी ज्ञात होता है कि विवाह के बाद आर्थिक स्थिति कैसी रहेगी। कुंडली मिलान के बिना विवाह करने से आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जो वैवाहिक जीवन में तनाव और असंतोष का कारण बन सकती हैं।
ज्योतिषीय परिप्रेक्ष्य और आधुनिक विचारधारा

हालांकि कुंडली मिलान के बिना विवाह करने के संभावित नकारात्मक प्रभाव ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होते हैं,परंतु आधुनिक समाज में कई लोग इस परंपरा को पुरानी सोच मानते हैं। वे मानते हैं कि विवाह का आधार प्रेम, विश्वास, और आपसी समझ होना चाहिए, न कि ज्योतिषीय गणनाएं। कई सफल विवाह ऐसे भी होते हैं जहां कुंडली मिलान नहीं किया गया होता है,और वे जोड़े सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे होते हैं।
हाल ही की गणना के अनुसार
भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी की हाल ही की गणना के अनुसार, कुंडली मिलान के बिना विवाह करने के परिणामस्वरूप जोड़ों में तलाक की दर बढ़ रही है। उनका मानना है कि ज्योतिषीय असंगतियों के कारण वैवाहिक जीवन में तनाव और समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं,जिन्हें सही समय पर कुंडली मिलान द्वारा रोका जा सकता है।
निष्कर्ष
कुंडली मिलान भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो विवाह के बाद जीवन को सुखमय और समस्यारहित बनाने का प्रयास करता है। कुंडली मिलान के बिना विवाह करने से संभावित नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं,जैसे कि ग्रहों की असंगति, मांगलिक दोष,नाड़ी दोष, और वैचारिक असंगति। हालांकि,यह भी सत्य है कि कई लोग इस परंपराको पुरानी सोच मानते हैं और प्रेम,विश्वास, और आपसी समझ को विवाह का आधार मानते हैं। अंततः, कुंडली मिलान एक व्यक्तिगत और सांस्कृतिक विश्वास का विषय है, और हर व्यक्ति को अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय स्वयं लेने का अधिकार है।