दशहरा और राहु-केतु दोष: कुंडली में ग्रहों के प्रभाव को कम करने के ज्योतिषीय समाधान

दशहरा का पर्व भारत में अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। यह केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इस पर्व पर व्यक्ति अपने जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए विभिन्न उपाय कर सकता है। विशेष रूप से, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहुकेतु का दोष है, तो दशहरा एक महत्वपूर्ण अवसर है जब राहु-केतु के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है।

राहु और केतु को छाया ग्रह कहा जाता है, जो चंद्रमा और सूर्य के बीच के ग्रहण बिंदुओं पर स्थित होते हैं। इनका सीधा प्रभाव हमारे जीवन के मानसिक, शारीरिक और आर्थिक पहलुओं पर पड़ता है। जब कुंडली में इन ग्रहों का दोष होता है, तो व्यक्ति को अस्थिरता, मानसिक अशांति, आर्थिक समस्याएँ, और अचानक घटनाओं का सामना करना पड़ता है।

राहु-केतु दोष

राहु और केतु दोनों ही अशुभ ग्रह माने जाते हैं और ये जब किसी ग्रह या भाव के साथ अशुभ स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति को कष्ट, परेशानियां, और बाधाओं का सामना करना पड़ता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार राहु को भ्रम, छल, और धोखे का प्रतीक माना जाता है, जबकि केतु आध्यात्मिकता, अलगाव और अनिश्चितता का प्रतीक है। जब इन दोनों ग्रहों का दोष कुंडली में होता है, तो व्यक्ति को अपने जीवन में असफलता, मानसिक तनाव, और अवसाद का सामना करना पड़ता है।

दशहरा के ज्योतिषीय महत्व

दशहरा के दिन का ज्योतिषीय महत्व यह है कि इस दिन को बुराई पर विजय प्राप्त करने का प्रतीक माना जाता है। साहू जी के अनुसार इसी तरह, इस दिन राहुकेतु दोष के उपाय करके व्यक्ति अपनी कुंडली में इन ग्रहों के बुरे प्रभावों को कम कर सकता है। इस दिन की ऊर्जा और ग्रहों की स्थिति विशेष रूप से राहु-केतु दोष को शांत करने में सहायक होती है।

कुंडली में राहु-केतु दोष के लक्षण

राहुकेतु दोष के कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

अचानक समस्याएँ: व्यक्ति को अचानक दुर्घटनाओं या आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

मानसिक तनाव: व्यक्ति में मानसिक अशांति, चिंता, और डर का भाव होता है।

स्वास्थ्य समस्याएँ: राहु-केतु दोष से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

सम्बन्धों में कष्ट: व्यक्तिगत और पारिवारिक संबंधों में तनाव या झगड़े हो सकते हैं।

अध्यात्मिक भटकाव: व्यक्ति आध्यात्मिकता से भटक सकता है और मानसिक अस्थिरता का अनुभव कर सकता है।

दशहरा पर राहु-केतु दोष दूर करने के उपाय

दशहरा के दिन राहु और केतु दोष को शांत करने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं, जिनसे जीवन में स्थिरता, शांति और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।

राहु-केतु शांति यज्ञ

दशहरा के दिन राहु और केतु दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष यज्ञ का आयोजन किया जा सकता है। साहू जी के अनुसार राहु-केतु शांति यज्ञ कुंडली में इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है। इस यज्ञ में राहु-केतु के मंत्रों का जाप किया जाता है, जिससे व्यक्ति को मानसिक शांति और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।

राहु-केतु के मंत्रों का जाप

दशहरा के दिन राहु और केतु के मंत्रों का जाप करने से उनके दोष को शांत किया जा सकता है। यह मंत्र व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है।

  • राहु मंत्र:
    • “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः”
    • इस मंत्र का दशहरा के दिन 108 बार जाप करें।
  • केतु मंत्र:
    • “ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः”
    • इस मंत्र का दशहरा के दिन 108 बार जाप करें।

दशहरा पर राहु-केतु से जुड़े वस्त्रों का दान

राहु और केतु दोष को कम करने के लिए दशहरा के दिन काले, नीले, और भूरे रंग के वस्त्रों का दान करना विशेष लाभकारी होता है। साहू जी के अनुसार इन रंगों के वस्त्र राहु और केतु से जुड़ते हैं और इनका दान करने से व्यक्ति के जीवन में बाधाओं का निवारण होता है।

सरसों के तेल का दीपक जलाना

दशहरा के दिन शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाना राहु और केतु के दोष को कम करने का एक सरल और प्रभावी उपाय है। यह दीपक व्यक्ति के घर और जीवन से नकारात्मकता को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है। इसे पीपल के पेड़ के नीचे जलाने से विशेष लाभ मिलता है।

अश्वगंधा और सफेद चंदन का प्रयोग

राहु और केतु के दोष को शांत करने के लिए दशहरा के दिन अश्वगंधा और सफेद चंदन का प्रयोग भी किया जा सकता है। इन दोनों का धूप या तिलक के रूप में प्रयोग करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।

दशहरा पर हनुमान जी की पूजा

हनुमान जी को राहु और केतु दोष से मुक्ति का संरक्षक माना जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार दशहरा के दिन हनुमान जी की पूजा करने से राहु और केतु दोष का प्रभाव कम होता है। हनुमान चालीसा का पाठ करें और सिंदूर का तिलक लगाकर हनुमान जी को अर्पित करें। इससे राहुकेतु दोष का प्रभाव शांति पाता है और व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

रत्न धारण करना

राहु और केतु के दोष को शांत करने के लिए कुछ विशेष रत्नों का धारण करना भी लाभकारी होता है। साहू जी के अनुसार राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया रत्न पहनना शुभ होता है। दशहरा के दिन इन रत्नों को धारण करने से इनके दोष का प्रभाव कम हो सकता है।

राशि अनुसार उपाय

दशहरा पर राहुकेतु दोष से छुटकारा पाने के लिए राशि अनुसार उपाय भी किए जा सकते हैं। हर राशि पर राहु और केतु का प्रभाव अलग-अलग होता है, इसलिए इन उपायों को करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है।

मेष राशि (Aries)

मेष राशि के जातकों को दशहरा के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए और पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। साहू जी के अनुसार यह उपाय राहु और केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है।

वृषभ राशि (Taurus)

वृषभ राशि के जातकों को दशहरा के दिन सफेद चंदन का तिलक लगाना चाहिए और देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। यह उपाय राहु और केतु के दोष को शांत करने में सहायक होता है।

मिथुन राशि (Gemini)

मिथुन राशि के जातकों को दशहरा के दिन हरे वस्त्र पहनने चाहिए और भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। यह उपाय राहु और केतु से उत्पन्न मानसिक तनाव को दूर करने में सहायक होता है।

कर्क राशि (Cancer)

कर्क राशि के जातकों को दशहरा के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए और चावल का दान करना चाहिए। साहू जी के अनुसार यह उपाय राहुकेतु दोष से उत्पन्न शारीरिक और मानसिक समस्याओं को कम करता है।

सिंह राशि (Leo)

सिंह राशि के जातकों को दशहरा के दिन सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए और तांबे के बर्तन का दान करना चाहिए। यह उपाय राहुकेतु के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है।

दशहरा का पर्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व है। साहू जी के अनुसार राहु-केतु दोष से उत्पन्न समस्याओं को दशहरा के दिन किए गए उपायों द्वारा कम किया जा सकता है। इन उपायों से व्यक्ति को मानसिक शांति, जीवन में स्थिरता, और समृद्धि प्राप्त होती है।

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TESTIMONIALS

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