देवी हर्षिद्धि की पूजा से कुंडली में राहु-केतु के दुष्प्रभाव को कम करने के उपाय

हिन्दू धर्म में देवी हर्षिद्धि का विशेष महत्व है। उन्हें शत्रु नाशिनी, विघ्नहर्ता, और संकट मोचक के रूप में पूजा जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार देवी हर्षिद्धि की पूजा से जीवन के अनेक कष्टों से मुक्ति मिलती है और विशेष रूप से ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से राहु और केतु दो महत्वपूर्ण ग्रह हैं, जिनका अशुभ प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर डाल सकता है। कुंडली में राहु और केतु का दुष्प्रभाव अनेक समस्याएं जैसे मानसिक तनाव, असफलता, पारिवारिक कलह, और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। देवी हर्षिद्धि की पूजा के माध्यम से इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है और जीवन में शांति और संतुलन लाया जा सकता है।

राहु-केतु का ज्योतिषीय महत्व

राहु और केतु छाया ग्रह होते हैं, जो सूर्य और चंद्रमा के साथ ग्रहण के समय जुड़े होते हैं। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार ज्योतिष में राहु और केतु को जीवन के “करियर, कर्म, और भाग्य” पर गहरा प्रभाव डालने वाला माना जाता है। राहु को मानसिक भ्रम, अस्थिरता और अचानक बदलाव का कारक माना जाता है, जबकि केतु को अतीत, रहस्य, और आध्यात्मिक उन्नति से जोड़ा जाता है। जब ये दोनों ग्रह कुंडली में अशुभ स्थानों में होते हैं, तो यह जीवन में कई परेशानियां पैदा कर सकते हैं।

इन ग्रहों के दुष्प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन देवी हर्षिद्धि की पूजा से राहु और केतु के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है। देवी के आशीर्वाद से व्यक्ति को साहस, शक्ति, और समस्याओं से लड़ने की प्रेरणा मिलती है।

देवी हर्षिद्धि की पूजा का महत्व

देवी हर्षिद्धि की पूजा राहुकेतु के दोषों को दूर करने के लिए अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है। साहू जी के अनुसार उनकी कृपा से व्यक्ति को न केवल इन ग्रहों के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है, बल्कि उन्हें मानसिक शांति और सफलता का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। देवी की आराधना करने से नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदला जा सकता है और जीवन में नई उन्नति और प्रगति प्राप्त की जा सकती है।

देवी हर्षिद्धि की पूजा में विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जो राहु और केतु के प्रभाव को शांत करने में मदद करते हैं। साहू जी के अनुसार इसके साथ ही, देवी के समक्ष दीप जलाना, पूजा सामग्री जैसे लाल फूल, नारियल, और दीपक का उपयोग करना अति आवश्यक है। देवी के नाम का स्मरण करते हुए उनका ध्यान करने से कुंडली में राहु और केतु के दोष कम होते हैं और जीवन में शांति का अनुभव होता है।

राहु-केतु दोष निवारण के उपाय

पूजन विधि
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देवी की पूजा में लाल फूल, चंदन, नारियल, दीपक और मिठाई का विशेष महत्व होता है। इन सामग्रियों का उपयोग करते हुए देवी को समर्पित किया जाता है, जिससे देवी की कृपा प्राप्त होती है और राहुकेतु के दोष शांत होते हैं।

देवी हर्षिद्धि की पूजा के माध्यम से राहु-केतु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण ज्योतिषीय उपाय अपनाए जा सकते हैं:

संकल्प और ध्यान: पूजा करने से पहले, मन में देवी का ध्यान करें और अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाने का संकल्प लें। देवी हर्षिद्धि की कृपा से राहु और केतु के दुष्प्रभाव धीरे-धीरे कम हो सकते हैं।

सकारात्मक ऊर्जा: देवी की पूजा में सकारात्मकता का होना अत्यंत आवश्यक है। देवी की आराधना करने से व्यक्ति के चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है, जो नकारात्मक प्रभावों को कम करता है।

मंत्र जाप: देवी हर्षिद्धि के विशेष मंत्रों का जाप करना राहु-केतु के दोष निवारण में अत्यधिक लाभकारी हो सकता है। साहू जी के अनुसार इन मंत्रों के नियमित जाप से ग्रहों का अशुभ प्रभाव कम होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है। मंत्र जाप के साथ ध्यान और साधना करना भी राहु-केतु के दोष को दूर करने में सहायक होता है।

नवग्रह शांति यज्ञ: देवी हर्षिद्धि की कृपा प्राप्त करने के लिए नवग्रह शांति यज्ञ किया जा सकता है। साहू जी के अनुसार यह यज्ञ कुंडली के सभी ग्रहों को शांत करने का कार्य करता है और विशेष रूप से राहु-केतु के दोषों को दूर करता है। यज्ञ में देवी की आराधना के साथ-साथ ग्रहों की शांति के लिए मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जो जीवन में उन्नति लाने में सहायक होता है।

राहु-केतु के प्रभाव से जुड़े प्रमुख संकेत

राहु और केतु के अशुभ प्रभाव का कुंडली पर गहरा प्रभाव हो सकता है, जिससे जीवन में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इन ग्रहों के दोष से जुड़े कुछ प्रमुख संकेत निम्नलिखित हैं:

मानसिक तनाव और अनिद्रा: राहु-केतु के दोष के कारण व्यक्ति को मानसिक तनाव और अनिद्रा की समस्या हो सकती है। देवी हर्षिद्धि की पूजा से इस समस्या का निवारण संभव है।

आर्थिक समस्याएं: राहु और केतु का प्रभाव व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ सकता है। देवी की आराधना से आर्थिक संकटों का समाधान हो सकता है और धन का आगमन हो सकता है।

विवाह संबंधी समस्याएं: राहु और केतु के दोष के कारण विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। देवी हर्षिद्धि की पूजा से इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।

स्वास्थ्य समस्याएं: राहु-केतु के दोष के कारण व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। देवी की आराधना से स्वास्थ्य में सुधार और शारीरिक शांति प्राप्त हो सकती है।

देवी हर्षिद्धि की पूजा न केवल राहु और केतु के दुष्प्रभावों को कम करने का एक प्रभावी उपाय है, बल्कि जीवन में शांति, सफलता और समृद्धि लाने का मार्ग भी प्रदान करती है। देवी की कृपा से व्यक्ति को साहस, शक्ति और समस्याओं से लड़ने की प्रेरणा मिलती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार कुंडली में राहु-केतु के दोषों को शांत करने के लिए देवी की आराधना और ज्योतिषीय उपाय अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। देवी हर्षिद्धि की पूजा के माध्यम से राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को शांत किया जा सकता है, जिससे जीवन में सुख और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

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