This story tell us about The Essence of Life सारी जिंदगी का सार, and motivation of life story, the person where one was inclined the whole life and end of the movement did person get or not? so read this article hope you like it
यह जानकर तुम हैरान होओगे कि प्रत्येक व्यक्ति अलग इंद्रिय से मरता है। किसी की मौत आंख से होती है, तो आंख खुली रह जाती है—हंस आंख से उड़ा। किसी की मृत्यु कान से होती है। किसी की मृत्यु मुंह से होती है, तो मुंह खुला रह जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार अधिक लोगों की मृत्यु जननेंद्रिय से होती है, क्योंकि अधिक लोग जीवन में जननेंद्रिय के आसपास ही भटकते रहते हैं, उसके ऊपर नहीं जा पाते। तुम्हारी जिंदगी जिस इंद्रिय के पास जीयी गई है, उसी इंद्रिय से मौत होगी। औपचारिक रूप से हम मरघट ले जाते हैं किसी को तो उसकी कपाल—क्रिया करते हैं, उसका सिर तोड़ते हैं। वह सिर्फ प्रतीक है। समाधिस्थ व्यक्ति की मृत्यु उस तरह होती है। समाधिस्थ व्यक्ति की मृत्यु सहस्रार से होती है।
जननेंद्रिय सबसे नीचा द्वार है। जैसे कोई अपने घर की नाली में से प्रवेश करके बाहर निकले। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार सहस्रार, जो तुम्हारे मस्तिष्क में है, वह श्रेष्ठतम द्वार है। जननेंद्रिय पृथ्वी से जोड़ती है, सहस्रार आकाश से। जननेंद्रिय देह से जोड़ती है, सहस्रार आत्मा से। जो लोग समाधिस्थ हो गए हैं, जिन्होंने ध्यान को अनुभव किया है, जो बुद्धत्व को उपलब्ध हुए हैं, उनकी मृत्यु सहस्रार से होती है।
उस प्रतीक में हम अभी भी कपाल—क्रिया करते हैं। मरघट ले जाते हैं, बाप मर जाता है, तो बेटा लकड़ी मारकर सिर तोड़ देता है। मरे—मराए का सिर तोड़ रहे हो! प्राण तो निकल ही चुके, अब काहे के लिए दरवाजा खोल रहे हो? अब निकलने को वहां कोई है ही नहीं। मगर प्रतीक, औपचारिक, आशा कर रहा है बेटा कि बाप सहस्रार से मरे; मगर बाप तो मर ही चुका है। ज्योतिषी के अनुसार यह दरवाजा मरने के बाद नहीं खोला जाता, यह दरवाजा जिंदगी में खोलना पड़ता है। इसी दरवाजे की तलाश में सारे योग, तंत्र की विद्याओं का जन्म हुआ। इसी दरवाजे को खोलने की कुंजियां हैं योग में, तंत्र में। इसी दरवाजे को जिसने खोल लिया, वह परमात्मा को जानकर मरता है। उसकी मृत्यु समाधि हो जाती है। इसलिए हम साधारण आदमी की कब्र को कब्र कहते हैं, फकीर की कब्र को समाधि कहते हैं—समाधिस्थ होकर जो मरा है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति उस इंद्रिय से मरता है, जिस इंद्रिय के पास जिया। जो लोग रूप के दीवाने हैं, वे आंख से मरेंगे; इसलिए चित्रकार, मूर्तिकार आंख से मरते हैं। उनकी आंख खुली रह जाती है। जिंदगी—भर उन्होंने रूप और रंग में ही अपने को तलाशा, अपनी खोज की। संगीतज्ञ कान से मरते हैं। उनका जीवन कान के पास ही था। उनकी सारी संवेदनशीलता वहीं संगृहीत हो गई थी। मृत्यु देखकर कहा जा सकता है—आदमी का पूरा जीवन कैसा बीता। अगर तुम्हें मृत्यु को पढ़ने का ज्ञान हो, तो मृत्यु पूरी जिंदगी के बाबत खबर दे जाती है कि आदमी कैसे जिया; क्योंकि मृत्यु सूचक है, सारी जिंदगी का सार—निचोड़ है।
उँगलियों से जाने अपना भविष्य
हस्तरेखा सामुद्रिक शास्त्र का प्रमुख भाग है। ज्योतिष शास्त्र के हस्तरेखा विज्ञान में अंगुलियों का…
Which Zodiac Signs Excel in Leadership Roles?
Leadership qualities are not solely a matter of experience or education. In fact, astrology provides…
Rising Signs and Their Business Strengths
Rising signs, also known as ascendants, play a significant role in shaping one’s personality and…
गंडमूल दोष – Gandmool Dosha
गण्ड मूल दोष किसे कहा गया है? ज्योतिषशास्त्र में उल्लेख हैं। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को 27…
विजय थलापथी की जन्मतिथि का अंक ज्योतिषीय विश्लेषण
विजय थलापथी साउथ सिनेमा के एक प्रमुख अभिनेता हैं, जिन्होंने अपने करियर में कई हिट…
Which Zodiac Signs Make the Best Business Partners?
Choosing the right business partner can be pivotal to the success of any venture. In…

